पटना:बहुत ही कम समय में आरजेडी नेता तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने अपनी अलग और राजनीति के धुरंधर के रूप में पहचान बना ली है. उनके बोलने के लहजे से लोग बरबस ही उनकी ओर आकृष्ट होते हैं. लेकिन सवाल ये कि राजनीति में मजबूत पकड़ और वाकपटुता के बावजूद नेता प्रतिपक्ष (Leader of Opposition) तेजस्वी यादव को अपनी रणनीति को मूर्त रूप देने में कामयाबी आखिर क्यों नहीं मिल रही है.
पश्चिम बंगाल के चुनाव के वक्त से बिहार की राजनीति में हलचलें तेज हो गई थी. वहीं कोरोना काल में बिहार से लंबे समय से दूरी बनाए रखने के बाद जब तेजस्वी दिल्ली से पटना लौटे थे, तब राघोपुर दौरे के दौरान उन्होंने डंके की चोट पर कह दिया था कि बिहार की सरकार 2 से 3 महीने में गिरने वाली है. जिसके बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) भी अलर्ट हो गए थे. सभी नाराज नेताओं की नाराजगी दूर करने का प्रयास किया जाने लगा.
'सरकार तोड़-जोड़ और सौदेबाजी पर चल रही है. हमने दावा सरकार गिराने का नहीं किया था लेकिन सरकार में जिस तरीके से उथल पुथल है और असंतोष है उससे हमें प्रतीत होता है कि सरकार खुद ही गिर जाएगी. सरकार अपनी मौत मरने वाली है. हमलोग रचनात्मक विपक्ष की भूमिका में रहेंगे. जो कमी है उसको उजागर करेंगे.'-रामानुज प्रसाद, राजद प्रवक्ता
कयासों का बाजार गर्म हो गया. कहा जाने लगा कि तेजस्वी के संपर्क में जदयू के कई बड़े नेता हैं. हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतनराम मांझी (Jitan Ram Manjhi), वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी (VIP Chief Mukesh Sahni), जेडीयू (JDU) संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) सरीखे कई नेताओं से तेजस्वी और तेजप्रताप की मुलाकातों का दौर चल पड़ा था.
'यह सरकार जोड़-तोड़ की है जनहित से उसका कोई लेना-देना नहीं है. सरकार अपने कारणों से ही गिरेगी. इंतजार कीजिए सरकार बनने का जो पूरा कारण है वो बहुत जल्द जनता जान जाएगी. यहां सिर्फ कुर्सी बचाने के लिए सरकार बनी है. जनता के मुद्दे से इसे कुछ लेना देना नहीं है.'-अजीत कुशवाहा,भाकपा माले विधायक
इन मुलाकातों के बाद तेजस्वी यादव का आत्मविश्वास भी चरम पर था. सभी को यही लगने लगा कि अब बिहार की राजनीति (Bihar Politics) में एक नई पारी की शुरुआत होने वाली है. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. एनडीए के तमाम घटक दलों को एक डोर से बांध के रखने की कोशिश रंग लाई और मुलाकातों का दौर बातचीत पर ही सिमट कर रह गया.
'हवा हवाई दावा है. दिन में ही तेजस्वी यादव सपना देख रहे हैं. ये सपना पूरा होने वाला नहीं है. सरकार गिरेगी नहीं, सरकार दौड़ रही है. हसीन सपना देखना चाहिए. अपनी पार्टी को एकजुट रखने के लिए ऐसे बयान दिए जाते हैं.'- हरि भूषण ठाकुर, भाजपा विधायक
तेजस्वी यादव अपनी रणनीति को आकार देने में बार-बार मात खा जाते हैं. राजनीतिक पंडितों का मानना है कि महागठबंधन (Mahagathbandhan) की ओर से सदन में अनुभवी नेताओं के गैरमौजूदगी (Leaders In RJD Bihar) से एनडीए को बढ़त मिल जाती है.
बिहार की राजनीति ने लड़ाई युवा बनाम अनुभव की है. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव युवा होने के चलते युवाओं के हिमायती होने का दंभ भरते हैं. बिहार में युवाओं की आबादी सबसे ज्यादा है. विधानसभा चुनाव के दौरान रोजगार के मुद्दे पर तेजस्वी जनता के बीच गए थे. तेजस्वी यादव को जनता का समर्थन भी मिला लेकिन वह सरकार नहीं बना सके.