पटना: बिहार विधानसभा बजट सत्र के 11वें दिन उद्योग बजट पर चर्चा हुई. उद्योग मंत्री शाहनवाज हुसैन ने उद्योग को लेकर अपनी बातें कहीं. जिसको लेकर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने सरकार पर तंज कसा है. तेजस्वी यादव ने कहा है कि सरकार ने जो आज उद्योग को लेकर बजट पेश किया है, उसमें कुछ भी नया नहीं हैं.
उद्योग लाने पर बातें नहीं हुई
तेजस्वी ने कहा कि सदन के अंदर उद्योग विभाग को लेकर जो चर्चा हुई है. हम लोगों को उम्मीद था, बिहार में उद्योग लगाने पर बात होगी. उद्योग आएंगे कैसे, आय कैसे बढ़ेगी इस पर सरकार चर्चा करती. लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. तेजस्वी यादव ने कहा कि एनडीए का चुनावी घोषणा पत्र में था कि बिहार में उद्योग धंधे बढ़ेंगे. लोगों को रोजगार मिलेगा. लेकिन आज जो बजट पेश किया गया है. उसमें ऐसा कुछ भी प्रारूप नहीं दिखाई दिया.
उद्योग विभाग के बजट पर बोले नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव नीतीश सरकार ने स्पष्ट जवाब नहीं दिया
तेजस्वी यादव ने कहा कि बिहार में कई सारी शुगर मिलें बंद पड़ी हैं. सरकार उन सभी मिलों को चालू करवाएगी. इस बजट में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. यानी उद्योग को लेकर सरकार के पास कोई ब्लू प्रिंट नहीं है. हमने बजट के दौरान सदन में कहा कि मोतिहारी के चीनी मिल को सरकार कब चालू करवा रही है. प्रधानमंत्री को सरकार कब तक चाय पिलाएगी. इस पर हमने अपनी बातें रखी. लेकिन सरकार ने उसका स्पष्ट रूप से कोई जवाब नहीं दिया.
उद्योग विभाग के बजट पर बोले नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव मक्का डालो डॉलर मिलेगा
बिहार में करोड़ों युवा बेरोजगार हैं. सरकार उन्हें रोजगार देने के लिए चुनाव के समय बहुत सारे वादे किए थे. लेकिन आज जब उद्योग विभाग का बजट पेश हुआ. उसमें रोजगार की कोई चर्चा ही नहीं हुई. उद्योग मंत्री शाहनवाज हुसैन बजट को लेकर जो आज सदन में भाषण दे रहे थे, वह बिल्कुल ही बकवास था. शाहनवाज हुसैन बजट पर चर्चा करते हुए कह रहे थे कि मक्का डालो डॉलर मिलेगा, गन्ना डालो इथेनॉल निकलेगा. अच्छी बात है. शाहनवाज हुसैन के मुंह में घी शक्कर. अगर ऐसा हुआ तो.
सारे वादे जुमला थे
लेकिन केंद्र सरकार द्वारा बिहार के लिए जो विशेष पैकेज की घोषणा हुई थी, उस पैसे का क्या हुआ? यह शाहनवाज हुसैन जी को बताना चाहिए था. लेकिन वह नहीं बता पाए. तेजस्वी यादव ने कहा कि अब हम लोग जनता के बीच में जाएंगे और उन्हें बताएंगे कि चुनाव के समय एनडीए द्वारा जो रोजगार देने की बात कही गई थी. वह सिर्फ जुमला निकला. क्योंकि इस बजट में बिहार में ना तो उद्योग का कोई प्रारूप तैयार किया गया है और ना ही बेरोजगारों को रोजगार देने की बातें कही गई हैं.