पटनाः जब बिहार में बजट पेश किया जा रहा था, उस वक्त तेजस्वी 2 हजार किलोमीटर दूर चेन्नई में थे. मौका था तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की आत्मकथा का विमोचन कार्यक्रम का. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने स्टालिन की आत्मकथा का विमोचन किया. दक्षिण से मंच पर नेताओं की मौजदूगी ने यूपीए 1 और यूपीए 2 की याद दिला दी. उस वक्त केंद्र में लालू यादव थे. लेकिन अब उनके बेटे उनकी गैरमौजूदगी में साउथ के साथियों को साधने में जुटे हैं. लालू यादव, केसीआर और एमके स्टालिन की दोस्ती की चर्चा पूरे देश में थी. अब उसी रिश्ते को मजबूत करती दिख रही तस्वीर आपके सामने है. चेन्नई की इन तस्वीरों को देख बिहार ही नहीं पूरे देश की राजनीतिक गलियारों में सुगबुगाहट तेज हो गई है. चर्चा शुरू हो चुकी है कि मुख्यमंत्री की आत्मकथा के विमोचन के बहाने विपक्ष को एकजुट करने की तैयारी चल रही है. बड़ी बात यह भी है कि बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव दूसरी बार साउथ के दौरे पर (Tejashwi Yadav Chennai Visit) हैं. इस बार उनके साथ उनके रणनीतिकार संजय यादव भी मौजूद थे.
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इस कार्यक्रम में केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन, जम्मू कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के उमर अबदुल्ला चेन्नई ट्रेड सेंटर में मौजूद थे. एक मंच पर विपक्ष के कई बड़े चेहरे को देखकर यह कयास लगाए जाने लगे हैं कि अब विपक्ष एकजुट होने की तैयारी में है. 2024 में लोकसभा चुनाव होने हैं. यह भी अनुमान लगाए जाने लगे हैं कि एक कार्यक्रम के बहाने चुनावों को लेकर रणनीति बनाई जा सकती है. इस मंच की एक बड़ी बात यह भी रही कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी और तेजस्वी यादव ने 2020 बिहार चुनाव के बाद पहली बार मंच साझा किया है.
2020 बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस और राजद में दरार पैदा हुई थी. जिसका असर बिहार विधानसभा की दो सीटों पर होनेवाले उपचुनाव में भी देखा गया था. जानकारी दें कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कई बार यह सुझाव दिया है कि भाजपा का मुकाबला करने के लिए कोई भी मोर्चा कांग्रेस को बाहर नहीं कर सकता है.