पटना: खाद्य पदार्थों पर जीएसटी (GST On Food Items) लगाए जाने के बाद राजद लगातार इस मसले पर हमलावर है. वहीं, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav Attack On Central Government) ने ट्वीट कर सरकार पर हमला बोला है. गुरुवार को एक बयान जारी कर उन्होंने कहा कि देशवासी पहले ही नोटबंदी, बदहाल अर्थव्यवस्था, बेतहाशा महंगाई और रिकॉर्ड तोड़ बेरोजगारी और नौकरी के विकल्पों के अभाव से जूझ रहे थे, अब सरकार ने आजीदी के बाद अति आवश्यक खाद्य पदार्थों जीएसटी (GST) लगाकर गरीबी में आटा गीला करने जैसा क्रूर काम किया है.
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अपने ट्वीटर हैंडल पर तेजस्वी ने लिखा कि- 'देशवासी नोटबंदी के बाद से बदहाल अर्थव्यवस्था, बेतहाशा महंगाई और रिकॉर्डतोड़ बेरोजगारी एवं नौकरी के विकल्पों के अभाव से पहले से ही जूझ रहे थे कि अब सरकार ने आज़ादी के बाद अति आवश्यक खाद्य पदार्थों गेंहू, अनाज, चावल, आटा, एवं किताब, कफ़न,इलाज इत्यादि पर भी GST लगाकर गरीबी में आटा गीला करने जैसा क्रूर काम किया है. आजाद भारत में पहली बार अनाज और कफ़न पर टैक्स लगाया गया है. जिसका सबसे अधिक खामियाजा निम्न और मध्यम वर्ग को उठाना पड़ेगा'.
"इस टैक्स के कारण दूध-दही, घी, आटा, चावल, स्टेशनरी इत्यादि के भाव 10-15% बढ़ गए हैं. इससे लोगों की पढ़ाई लिखाई और खान-पान व पोषण अर्थात् लोगों के भविष्य और वर्तमान पर सीधा सीधा असर पड़ रहा है. हर बीतते महीने के साथ देश में डेढ़-दो करोड़ बेरोजगारों की संख्या में बढ़ौतरी हो रही है. यानी सरकार की गलत आर्थिक नीतियों और बिना सोचे समझे अचानक लिए गए अतार्किक फैसलों एवं गलत जनविरोधी नीतियों के कारण एक ओर आय के विकल्प लगातार खत्म हो रहे हैं, वहीं बढ़ती महंगाई और नित नए थोपे जा रहे टैक्सों के कारण बचत और जीवनयापन करना असंभव सा हो गया है"- तेजस्वी यादव,नेता प्रतिपक्ष
'गरीब, मजदूर, किसान का जीना मुहाल':अंत में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने लिखा कि सरकार दाम बढ़ाकर, राष्ट्र की संपत्ति बेचकर, निजीकरण कर, नौकरी छिनकर, लोगों की पेट पर लात मारकर कमाई करना बिल्कुल बंद करे. आम आदमी, गरीब, मजदूर, किसान का जीना मुहाल हो गया है. छोटे व मंझोले किसान व व्यापारी बर्बाद हो रहे हैं. सरकारी नौकरियां खत्म की जा रही हैं. शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था को आम नागरिकों की पहुंच से बाहर कर दिया गया है. पूंजीपति मित्रों के 11 लाख करोड़ की राशि तक के टैक्स और लोन माफ करने वाली जनविरोधी केंद्र सरकार में आम आदमी बिल्कुल विकल्पहीन और आशा-विहीन हो गया है, जो देश के लिए बहुत खतरनाक है.