पटना: बिहार में फर्जी शिक्षकों की नियुक्ति (Fake Teacher Appointment) का मामला कोई नया नहीं है. राज्य में करीब 1 लाख 3 हजार नियोजित शिक्षकों के फोल्डर निगरानी को नहीं मिल पाए थे. अब इनमें से करीब 92 हजार शिक्षकों पर अब निगरानी जांच (Vigilance Investigation) का दायरा सिमट गया है. बिहार सरकारके आदेश के मुताबिक 20 जुलाई तक जिले के एनआईसी पोर्टल (NIC Portal) पर जो शिक्षक सभी जरूरी सर्टिफिकेट अपलोड नहीं करेंगे उनकी नियुक्ति को फर्जी मानते हुए हटा दिया जाएगा. निगरानीजांच में सर्टिफिकेट फर्जी मिलने पर नौकरी से हटाने के साथ ही वेतन की रिकवरी भी की जाएगी.
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पूरा मामला समझिए
वर्ष 2006 से 2015 के बीच बिहार में बड़ी संख्या में शिक्षकों का नियोजन हुआ था. इस दौरान फर्जी सर्टिफिकेट पर हजारों शिक्षकों ने नौकरी ले ली. जब मामले का खुलासा हुआ तो पटना हाईकोर्ट की सख्ती के कारण निगरानी जांच शुरू हुई. यह जांच भी करीब 1 लाख 3 हजार शिक्षकों के फोल्डर नहीं मिलने के कारण अब तक पूरी नहीं हुई है. इसके बाद शिक्षा विभाग ने एक रणनीति के तहत ऐसे सभी शिक्षकों का ब्यौरा जिलों से मांगा. जानकारी के मुताबिक सभी जिलों ने ऐसे 1,03000 शिक्षकों का पूरा विवरण शिक्षा विभाग को उपलब्ध करा दिया है.