तथागत तुलसी पर मुसीबतों का पहाड़ पटना : 1990 के दशक में तथागत तुलसी की दुनिया कायल थी. उनके शार्प माइंड की सराहना अखबारों, मैग्जीन और टीवी पर थी. मीडिया उनको कवर कर रही थी. राजनेता भी तथागत तुलसी को सराह रहे थे. जिस बच्चे ने महज 9 साल में मैट्रिक पास कर 22 की उम्र में आईआईटी मुंबई में असिस्टेंट प्रोफेसर बन जाए, उसकी चर्चा तो होनी ही थी. जब दुनिया कंप्यूटर से वाकिफ हुई थी तब क्वांटम कंप्यूटर बनाने की दिशा में कदम बढ़ाने वाले बाल वैज्ञानिक को देश आज भूल गया है. यही वजह है कि तथागत तुलसी को बड़े होने पर काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.
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टैलेंट पर अनदेखी का ग्रहण : कभी उनके टैलेंट के आगे कोर्ट के दरवाजे एकदम लचीले थे, आज उसी प्रतिभा के लिए वही कोर्ट और वही सरकार कठोर हो गई है. जबकि तथागत की मंशा है देश के लिए कुछ कर गुजरने की है. भारत के लिए उन्होंने विदेशों में अच्छी नौकरी का ऑफर ठुकराकर देश में रहकर ही देश के लिए शोध का काम शुरू कर दिया. इसके बावजूद आज उनकी प्रतिभा को वो तरजीह नहीं मिल रही, जिसके लिए वो डिजर्व करते हैं.
अपनी लड़ाई खुद लड़ने के आदी हैं तथागत तुलसी: कम उम्र में ही अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाने वाले तथागत अवतार तुलसी अब अपनी लड़ाई खुद लड़ने के लिए वकालत की पढ़ाई भी की. ये ऐसे शोधकर्ता हैं जिन्होंने अपने काम को पूरा करने के लिए, वकालत पढ़ी और अब उसे हथियार बनाकर आईआईटी मुंबई से निकाले जाने के फैसले के खिलाफ चुनौती देने वाले हैं. तथागत तुलसी इस बार अपनी दलील खुद कोर्ट में रखेंगे.
कभी नरेंद्र मोदी भी करते थे तारीफ: 9 साल की उम्र में हाई स्कूल और इंटर की कानूनी लड़ाई लड़कर जीते. ग्रेजुएशन और फिर IIT मुंबई में असिस्टेंट प्रोफेसर के चयन तक और चयन के बाद भी तथागत हमेशा अपने रास्ते को खुद ही साफ करके आगे बढ़े हैं. ये और बात थी कि तब लोगों ने उन्हें काफी सराहा था. खुद गुजरात के सीएम रहते हुए नरेंद्र मोदी ने सूरत की सभा में नाम लेकर उनकी सराहना की थी. बल्कि कंधे पर हाथ रखकर उनके साथ फोटो भी खिंचाई थी.
तथागत तुलसी की मुश्किलें कब होंगी हल?: तथागत को पीएम नरेंद्र मोदी से भी उम्मीदें थीं कि शायद पीएम से मिलकर इन मुश्किलों को दूर कर सकते हैं. लेकिन मुलाकात न होने की वजह से निराश जरूर हैं लेकिन वो कोर्ट के जरिए जाने की तैयारी कर रहे हैं. देखना ये है कि आखिर तथागत तुलसी को उनकी काबलियत के मुताबिक वो स्थान दोबारा कब तक मिल पाता है. उनकी बहाली और उनका शोध कार्य कब से शुरू हो पाता है.