पटनाः बिहार के प्रति बैंकों का रवैया सालों से उपेक्षापूर्ण रहा है. इसी कारण न केवल सीडी रेशियो (credit-deposit ratio) में बिहार दूसरे राज्यों से काफी पीछे है, बल्कि राष्ट्रीय औसत में भी काफी नीचे है. वहीं किसान क्रेडिट कार्ड (Kisaan Credit Card) के वितरण में भी बैंकों का रवैया संतोषजनक नहीं है. 2020-21 में केवल 25.13% उपलब्धि रही, तो वहीं 2021-22 में अब तक केवल 5.78% ही किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड दिया गया है.
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किसानों को सस्ता ऋण किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से मिलता है, लेकिन जब केसीसी बैंक नहीं देंगे, तो सस्ता ऋण इन किसानों को मिलेगा ही नहीं. बिहार के कृषि विकास पर भी इसके कारण असर पड़ रहा है.
बिहार कृषि प्रधान राज्य है लेकिन इसके बावजूद किसान क्रेडिट कार्ड बांटने में बैंक बिहार के साथ उपेक्षा पूर्ण रवैया अपनाते रहे हैं. पिछले 10 सालों में बैंकों ने केवल 2015-16 को छोड़कर कभी भी लक्ष्य को पूरा नहीं किया है.
आंकड़ों से जानें बैंकों का रवैया 2015-16 में 15 लाख किसान क्रेडिट कार्ड बांटना था. 15,63,197 किसान क्रेडिट कार्ड बांटा गया. लेकिन उसके बाद कभी भी 50% भी लक्ष्य को पूरा नहीं किया गया है. जबकि मुख्यमंत्री से लेकर बिहार के डिप्टी सीएम हर एसएलबीसी की बैठक में बैंकों को चेताते रहे हैं.
इसके साथ ही 2,67,627 केसीसी का नवीकरण भी किया गया. जून 2021 तक केसीसी ऋण 39.21 लाख खातों में 25,542 करोड रुपए आउटस्टैंडिंग थे. इसमें से 25.78 लाख खाते एक्टिव खाते थे, जिनमें 16098 करोड़ राशि थी. 36.98 प्रतिशत खाते एनपीए थे, जिनमें 9444 करोड़ राशि थी. आकड़े से ही साफ हो जाता है कि बैंकों का रवैया बिहार के प्रति किस प्रकार का है.
'बैंकों का रवैया शुरू से बिहार के प्रति ठीक नहीं रहा है. बिहार सरकार अपने बलबूते कृषि और किसान के लिए लगातार काम कर रही है. लेकिन किसान क्रेडिट कार्ड किसानों को बैंक मुहैया कराए तो आसानी से ऋण मिल सकता है. कृषि के क्षेत्र में तेजी से विकास संभव हो सकता है.'-नीरज कुमार, मुख्य प्रवक्ता, जदयू
'बैंकों का रवैया बिहार के प्रति अब तक बहुत बेहतर नहीं रहा है. बिहार कृषि प्रधान राज्य है, ऐसे में किसान क्रेडिट कार्ड का महत्व काफी बढ़ जाता है. केंद्र सरकार भी किसानों को लेकर गंभीर है. प्रधानमंत्री के स्तर पर भी कई तरह की योजना चल रही है. यदि बैंक अधिक से अधिक क्रेडिट कार्ड उपलब्ध कराए, तो किसानों को आसानी से ऋण मिल सकेगा. अपने कृषि के कार्य किसान बेहतर तरीके से कर सकेंगे.'-रवि उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार
एक तरफ किसान क्रेडिट कार्ड नहीं होने से किसानों को सस्ता लोन नहीं मिल रहा है. तो वहीं कृषि और पशुपालन क्षेत्र में बिहार में अपार संभावना है. लेकिन उसमें भी लोन देने में बैंकों का रवैया बेहतर नहीं है.
2021-22 में कृषि क्षेत्र में 66,500 करोड़ का ऋण वितरण का लक्ष्य तय किया गया था. लेकिन जून तक केवल 9272 करोड़ का ऋण बैंकों द्वारा वितरित किया गया है. जो लक्ष्य का केवल 13.94% है. ऐसे में लक्ष्य पूरा होगा, इसकी दूर-दूर तक संभावना नहीं दिख रही है.
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