पटना:वीआईपी चीफ मुकेश सहनी (VIP Chief Mukesh Sahani) उत्तर प्रदेश में बीजेपी को हराने गए थे लेकिन खुद बीजेपी के राजनीतिक गेमप्लान के शिकार हो गए. उनकी पार्टी के सभी विधायकों ने उनका साथ छोड़ दिया है. बुधवार शाम को विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के तीनों विधायक राजू सिंह, सुवर्णा सिंह और मिश्री लाल यादव ने बीजेपी का दामन थाम लिया है. इसके साथ ही अब सियासी गलियारों से लेकर आम जनमानस के बीच ये चर्चा शुरू हो गई है कि आखिर 'सन ऑफ मल्लाह' अब आगे क्या करेंगे? बोचहां विधानसभा उपचुनाव (Bochaha Assembly By Election) में जीत मिली तो नए सिरे से सियासत कर सकेंगे, अन्यथा राजनीतिक भविष्य पर ग्रहण लग सकता है.
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मुकेश सहनी को बड़ा झटका: बिहार की राजनीति पर नजर रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय का कहना है मुकेश सहनी को एक के बाद एक लगातार झटका मिल रहा है. बीजेपी से टकराने का उन्हें बड़ा नुकसान हुआ है, क्योंकि बीजेपी ने अपने कोटे से उन्हें एमएलसी बनाया था. मंत्री बनाकर उन्हें एडजस्ट किया था लेकिन उसके बाद भी उत्तर प्रदेश में जो उनका रुख रहा, वह सही नहीं था. बीजेपी ने बोचहां सीट छीन कर मुकेश सहनी को औकात बताना शुरू कर दिया. इसके लिए केंद्रीय नेतृत्व के कहने पर केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को विश्वास में लिया. बिहार में मंत्रिमंडल में भी उलटफेर हो सकता है और इसके साथ ही वीआईपी के 3 विधायकों में से किसी को मंत्री बनाया जा सकता है.
चेहरा चमकाना चाहते हैं सहनी: वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय का कहना है कि मुकेश सहनी सिर्फ अपना चेहरा चमकाना चाहते हैं. इसीलिए उनकी पार्टी के लिए यह सबसे मुश्किल घड़ी है. यदि बोचहां सीट मुकेश सहनी जीत जाते हैं तो उनकी नई पारी की शुरुआत हो सकती है और यदि नहीं जीतते हैं तो उनके पास कुछ भी नहीं बचेगा, क्योंकि जुलाई में उनका विधान परिषद का कार्यकाल भी समाप्त हो रहा है. वैसे तो मंत्री पद से नैतिकता के आधार पर पहले ही इस्तीफा दे देना चाहिए था लेकिन जुलाई में उन्हें हर हाल में इस्तीफा देना पड़ेगा.
निषाद आरक्षण का दांव फेल: रवि उपाध्याय का यह भी कहना है कि मुकेश सहनी जिस निषाद आरक्षण को लेकर अपना अभियान चला रहे हैं, उसका भी कोई असर न तो यूपी में दिखा और बिहार में तो पहले से नहीं दिख रहा है, क्योंकि खुद अपनी सीट विधानसभा चुनाव में नहीं बचा पाए थे.
बोचहां की जीत होगी संजीवनी:वे कहते हैं कि महागठबंधन से यह कह कर सहनी निकले थे कि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने उनके पीठ में छुरा घोंपा है. ऐसे में आरजेडी मुकेश सहनी पर फिर से विश्वास करेगी, इसकी संभावना कम है और अभी बोचहां सीट पर मुसाफिर पासवान के बेटे अमर पासवान को पार्टी में शामिल कराकर उम्मीदवार भी बना दिया. यह साफ संकेत है. रवि उपाध्याय का साफ कहना है कि मुकेश सहनी के लिए अब बोचहां सीट ही बिहार की राजनीति में उनको जिंदा रख सकती है.
यूपी चुनाव की तपिश में रिश्ते झुलसे: मुकेश सहनी और बीजेपी के रिश्तों में खटास की बड़ी वजह यूपी चुनाव में विकासशील इंसान पार्टी का मुखरता से चुनाव लड़ना है. न केवल उन्होंने उत्तर प्रदेश में अपने उम्मीदवार उतारे, बल्कि वहां की योगी सरकार की खुलेआम मुखालफत भी की. सार्वजनिक मंचों से तो उन्होंने केंद्र की मोदी सरकार पर भी निशाना साधा. जिस वजह से बीजेपी नेताओं में उनको लेकर जबर्दस्त नाराजगी है. माना जाता है कि बिहार बीजेपी से लेकर केंद्रीय नेतृत्व भी उनसे काफी नाराज हैं. अब उसी का परिणाम सामने आने लगा है.