पटनाः उत्तर प्रदेश चुनाव (UP Assembly Election) पर पूरे देश की नजर है. बिहार एनडीए के घटक दल यूपी में चुनाव लड़ने का ऐलान पहले ही कर चुके हैं. ऐसे तो बीजेपी हम और वीआईपी को कोई तवज्जो नहीं दे रही है. लेकिन पिछले दो दशक से सहयोगी रहे जदयू के साथ जरूर बातचीत कर रही है. पिछले 2 महीने से जदयू के नेता बीजेपी के साथ तालमेल हो जाने का दावा कर रहे हैं, लेकिन सीटों को लेकर अभी तक सहमति नहीं बन पाई है. अब सवाल ये उठ रहा है कि आखिर जदयू और बीजेपी के बीच बातचीत कब तक होती रहेगी. जदयू कब तक इंतजार करेगा?
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उत्तर प्रदेश में इस साल होने वाले चुनाव में जदयू-बीजेपी के तालमेल को लेकर सस्पेंस बना हुआ है. पिछले 2 महीना से इस पर चर्चा हो रही है. ऐसे तो साल के शुरू में ही जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी और परिषद की बैठक में भी यूपी में चुनाव लड़ने का ऐलान किया गया था और यह भी कहा गया था कि बीजेपी के साथ तालमेल की कोशिश होगी. ये कोशिश अभी भी चल रही है.
जदयू की तरफ से सीटों को लेकर एक सूची भी सौंपी गई है. लेकिन सीटों पर अब तक सहमति नहीं बन पाई है. जदयू के वरिष्ठ नेता और सांसद वशिष्ठ नारायण सिंह का कहना है कि कई राउंड की बातचीत हो गई है और तालमेल बीजेपी के साथ हो जाएगा. हमें पूरी उम्मीद है. वशिष्ठ नारायण सिंह का यह भी कहना है कि अटल आडवाणी के समय से लेकर लगातार हम लोग बीजेपी के साथ गठबंधन में है और तालमेल एनडीए के हक में होगा.
वहीं, बिहार बीजेपी के नेता यूपी चुनाव में जदयू के साथ गठबंधन को लेकर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं. बीजेपी प्रवक्ता संतोष पाठक का कहना है कि केंद्रीय नेतृत्व के साथ जदयू नेताओं की बातचीत चल रही है और चुनाव से पहले यदि गठबंधन की स्थिति बनती है तो जरूर फैसला होगा.
जदयू के संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा और राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह लगातार कहते रहे हैं कि बीजेपी के साथ तालमेल हो जाएगा. लेकिन कब तक हो जाएगा ना तो ललन सिंह और ना ही उपेंद्र कुशवाहा बताने की स्थिति में हैं. जदयू की पूर्वांचल के 60 से 65 सीटों पर नजर है और जदयू इसी में से अधिकांश सीट चाहती है.