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जनसंख्या स्थिरीकरण पर सोच समझकर रणनीति बनाने की आवश्यकता: सुशील मोदी - जनसंख्या नियंत्रण कानून

बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने जनसंख्या स्थिरीकरण के बारे में बहुत सोच समझ कर रणनीति बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया है. क्योंकि, आपातकाल के दौरान जबरदस्ती नसबंदी का खामियाजा कांग्रेस को भुगतना पड़ा था.

Rajya Sabha MP Sushil Modi
strategize on population stabilization

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Published : Jun 10, 2022, 9:47 AM IST

पटना: बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी(Rajya Sabha MP Sushil Modi) ने कहा है कि 2005 से एनडीए की सरकार ने लड़कियों की शिक्षा और महिला सशक्तिकरण का जो प्रयास किया उसी का परिणाम है कि बिहार की प्रजनन दर 4 से घटकर 2019–21 में राष्ट्रीय पारिवारिक स्वास्थ्य सर्वे के अनुसार 2.98 पहुंच गई. जनसंख्या स्थिरीकरण के बारे में सरकार कदम उठाए लेकिन उसे सोच समझकर लागू करे. क्योंकि आपातकाल के दौरान सरकार ने जबरदस्ती नसबंदी की तो उसका खामियाजा कांग्रेस को भुगतना पड़ा था.

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'पंचायत में भी दो बच्चों वाला प्रावधान': इसलिए मोदी ने कहा कि नगर निकाय चुनाव में बिहार में प्रावधान है कि जिनके 2 से ज्यादा बच्चे हैं वे चुनाव नहीं लड़ सकते हैं. भारत सरकार एवं बिहार सरकार की अनेक योजनाओं में एक या दो से ज्यादा बच्चा होने पर योजना के लाभ से वंचित कर दिया जाता है. मोदी ने कहा कि मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना अंतर्गत प्रथम दो कन्या शिशु के जन्म तक 2000 की राशि सीमित कर दी गई है. जननी सुरक्षा योजना में सरकारी अस्पताल में प्रसव कराने पर शहरी क्षेत्र में 1000 एवं ग्रामीण क्षेत्र में 1400 का प्रावधान का लाभ केवल 2 बच्चों तक सीमित है. प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना में प्रथम जीवित संतान के लिए ही 5000 का प्रावधान है. आयकर दाताओं को दो बच्चों की पढ़ाई पर हुए व्यय में आयकर में छूट का प्रावधान है.


दो से ज्यादा बच्चों पर योजनाओं का ना मिले लाभ: तमिलनाडु सहित अनेक राज्यों में मातृत्व अवकाश का लाभ भी दो बच्चों तक सीमित है. मोदी ने कहा कि बिहार में नगर निगम चुनाव के समान पंचायत चुनाव में भी दो बच्चों की अनिवार्यता को लागू किया जा सकता है. भारत सरकार और बिहार सरकार अन्य अनेक योजनाओं में भी प्रावधान कर सकती है, जिनका लाभ अधिकतम दो या तीन बच्चों के परिवार को ही मिल सके. आपातकाल के दौरान जबरदस्ती नसबंदी का खामियाजा कांग्रेस को भुगतना पड़ा था. अतः जनसंख्या स्थिरीकरण के बारे में बहुत सोच समझ कर रणनीति बनाने की आवश्यकता है.

जनसंख्या नियंत्रण पर सीएम नीतीश ने क्या कहा था: बता दें कि कुछ दिन पहले संसद में जनसंख्या नियंत्रण कानूनलाने के सवाल पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar On Population Control Bill) ने कहा था कि हर काम कानून बना देने से नहीं होता. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Bihar CM Nitish Kumar) ने इस कानून पर आपत्ति जतायी थी. उन्होंने कहा कि कहा कि केवल लड़कियों को शिक्षित करने से ही देश में आबादी वृद्धि को नियंत्रित करने के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद मिल सकती है.

“जब सरकार में हमलोग आए थे तो प्रजनन दर 4.3 थी, जो अब घटकर तीन पर आ गई है. वर्ष 2012-13 में इसका पूरा अध्ययन कराया गया. पति-पत्नी में अगर पत्नी मैट्रिक पास है तब प्रजनन दर देश की और अपने यहां की भी दो थी. यदि पत्नी इंटर पास है तो जो देश की प्रजनन दर थी उससे भी थोड़ा कम हमलोगों के यहां थी. उसी समय लड़कियों को और शिक्षित करने का काम शुरू कराया, उसी का नतीजा है कि लड़कियां पढ़ने लगी हैं और अब प्रजनन दर राज्य में घटकर 4.3 से तीन पर आ गई है.''- नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री, बिहार

बीजेपी का नीतीश ने दिया जवाब: इधर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष ने नीतीश की बातों से ( Population Control Law In Bihar) इत्तेफाक नहीं रखते हुए कहा कि 'विकास करने के बाद भी केवल जनसंख्या वृद्धि के कारण बिहार फिसड्डी दिखता है.' उन्होंने इसके लिए कानून बनाने और बेटियों को पढ़ाने से जनसंख्या स्थिरीकरण को भी सिरे से नकार दिया था. भाजपा नेता जायसवाल जायसवाल ने अपने फेसबुक वॉल पर जनसंख्या स्थिरीकरण को लेकर दिए गए अपने विचार में स्पष्ट रूप से कहा था कि इसे लेकर कानून बनाने और बेटियों को पढ़ाते रहने से जनसंख्या स्थिरीकरण की दलीलों को सही नहीं मानते. उन्होंने कहा कि भारत की आबादी 464 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है. सिर्फ 10 साल पहले यह 382 थी. वहीं बिहार की आबादी 1224 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है. हम भारत से भी 3 गुना ज्यादा है.

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