पटना: बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री एवंं राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि एनडीए सरकार के समय नालंदा अन्तरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय(एनआईयू) का विकास तेज हुआ और यहां बौद्ध दर्शन, अन्तरराष्ट्रीय संबंध सहित सभी 6 पाठ्यक्रमों की पढाई जारी है. साथ ही विश्वविद्यालय को 29.78 करोड़ की जगह एनडीए सरकार ने 1745 करोड़ रुपये दिए हैं.
'बख्तियार खिलजी को पुरखा मानने वालों की फट रही छाती, नालंदा विश्वविद्यालय को अनुदान के लिए PM का आभार जताएं नीतीश' - etv bharat bihar
सुशील मोदी ने बिहार के सीएम नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद करने की सलाह दी है. सुशील मोदी ने कहा कि एनडीए सरकार ने नौ साल ( 2014-2023) में अब तक 1744.90 करोड़ रुपये का अनुदान नालंदा विश्वविद्यालय को दिया है. साथ ही उन्होंने इशारों ही इशारों में विपक्ष को बख्तियार खिलजी का वंशज भी बता डाला.
Published : Sep 14, 2023, 7:42 PM IST
'नालंदा विश्वविद्यालय को मिला उदार अनुदान'- सुशील मोदी:सुशील मोदी ने कहा कि यहां 30 देशों के छात्र हैं. न कोई पाठ्यक्रम बंद हुआ है, न किसी पाठ्यक्रम में बदलाव किया गया है. एनडीए सरकार के 9 साल में नालंदा विश्वविद्यालय का पुनरुथान देख कर बख्तियार खिलजी को पुरखा मानने वालों की छाती फट रही है. मोदी ने कहा कि नालंदा अन्तरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना जिस यूपीए सरकार के समय हुई थी, उसने इसे 2010-2014 तक मात्र 29.78 करोड़ रुपये का अनुदान दिया, जबकि एनडीए सरकार ने नौ साल ( 2014-2023) में अब तक 1744.90 करोड़ रुपये का अनुदान दिया.
'पीएम को धन्यवाद दें नीतीश': उन्होंने आगे कहा कि क्या अनुदान में भारी वृद्धि करना किसी की उपेक्षा का सूचक है? इतने उदार अनुदान के लिए तो नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त करना चाहिए. सुशील मोदी ने कहा कि इस विश्वविद्यालय में 223 छात्र ज्ञान के विभिन्न अनुशासन (स्कूल) में अध्ययनरत हैं. इनमें 157 अन्य देशों से आये हैं. बौद्ध दर्शन की पढ़ाई के लिए नालंदा अन्तरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय दुनिया भर के छात्रों की पहली पसंद बन गया है.
'बिहार की ज्ञान परम्परा का संदेश': उन्होंने कहा कि विदेश मंत्रालय यहां पढ़ने वाले विदेशियों के लिए छात्रवृत्ति में लगातार वृद्धि कर रहा है. विदेशी राजनयिक यहां अक्सर आते हैं. पीएम मोदी ने जी-20 सम्मेलन में नालंदा विश्वविद्यालय के भग्नावशेष की प्रतिकृति लगवा कर दुनिया को भारत और बिहार की ज्ञान परम्परा का संदेश दिया, लेकिन विपक्ष को यह भी अच्छा नहीं लगा.