पटनाःराजधानी के ज्ञान भवन में कृषि मंत्रालय ने दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया. इस दौरान उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने पर्यावरण प्रदूषण पर चिंता जताते हुए कहा कि जब बिहार सहित देश के दूसरे हिस्सों में हसिया से फसल काटा जाता था. तब फसल के अवशेष को जलाने का संकट नहीं था.
हार्वेस्टर से फसल काटा जाने लगा तो किसान फसल अवशेष को जलाने लगे. इससे तीन बड़े संकट उपस्थित हुए हैं. वायु और वातावरण प्रदुषित हो रहे हैं. दूसरा स्वास्थ्य को नुकसान हो रहा है और तीसरा जमीन की उर्वरा शक्ति कम होती जा रही है.
उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी का संबोधन भारी मात्रा में जलाए जा रहे हैं फसलों के अवशेष
उप मुख्यमंत्री ने कहा कि कई टन फसल के अवशेष जलाने पर 199 किलो राख सहित भारी मात्रा में दूषित गैस पैदा होती है. जो कि प्रकृति और पर्यावरण के लिए नुकसानदेह है. इससे हमारे स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है. उन्होंने कहा कि पंजाब, हरियाणा और यूपी पिछली बार चार करोड़ टन फसल अवशेष जलाया है और बिहार में 32 लाख टन फसल अवशेष को जलाने का काम हुआ है. अंदाजा लगाया जा सकता है कि इससे वातावरण का कितना नुकसान हुआ होगा.
स्वास्थ्य पर इसका प्रतिकूल असर
सुशील मोदी ने कहा कि इससे ना सिर्फ वायु प्रदूषित हो रही है बल्कि ये हमारे स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर रहा है. 81 फीसदी लोगों को आखों की समस्या, 34 फीसदी को हृदय रोग, 12 फीसदी लोगों को श्वांस और 11 फीसदी लोगों को दम्मा की समस्या फसल जलाने से होने वाले प्रदूषण के कारण हो रहा है. उन्होंने कहा कि इसे जलाने वालों को दंड देने के प्रावधान करने के साथ ही इस पर भी विचार करना होगा कि किसान इसे जलाने को क्यों मजबूर हो रहे हैं.