पटना:अप्रैल 2016 में बिहार में शराबबंदी कानून (Liquor Prohibition Law in Bihar) लागू किया गया था. तमाम राजनीतिक दलों ने सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित किए थे. अब शराबबंदी लागू हुए 6 साल बीत चुके हैं. इन छह के दौरान शराबबंदी कानून ने कई उतार-चढ़ाव देखे. सरकार को सुप्रीम कोर्ट के दबाव में कुछ कानून को वापस भी लेने पड़े. अब एक बार फिर सरकार संशोधन की राह पर है. जेडीयू को छोड़कर तमाम राजनीतिक दल बिहार में शराबबंदी की समीक्षा (Review of Liquor Ban in Bihar) की वकालत कर रहे हैं.
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राजनीतिक दलों के दबाव को कम करने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने शराबबंदी के सकारात्मक पक्ष का सर्वे (Survey of Positive Side of Prohibition) कराने का फैसला लिया है. 2 महीने के अंदर सर्वे का काम पूरा किया जाना है. सर्वे में जो इंडेक्स तय किए गए हैं वह इस प्रकार है. महिलाओं की स्थिति में सुधार, लोगों के जीवन शैली में बदलाव, पारिवारिक खर्च की स्थिति, शराब पीने वाले परिवार के निर्णय लेने की क्षमता में बदलाव, खानपान के तरीके में बदलाव, स्वास्थ्य पर कितना असर, शिक्षा में कितना बदलाव और महिला हिंसा में कितनी कमी आई.
इसके अलावा सरकार यह भी जानने की कोशिश करेगी कि शराब के धंधे में लगे लोग क्या कर रहे हैं. कहीं शराब की जगह लोग दूसरी नशा तो नहीं कर रहे हैं. सरकार की पहल का राजनीतिक दल स्वागत तो कर रहे हैं लेकिन मंशा पर सवाल भी खड़े किए जा रहे हैं. बिहार के तमाम राजनीतिक दलों का मानना है कि सरकार का कदम सराहनीय है लेकिन सकारात्मक पक्ष के साथ-साथ नकारात्मक पक्ष का भी सर्वे कराया जाना चाहिए.
आपको बता दें कि सर्वे के लिए 8 जिलों का चयन किया गया है. पूर्वी चंपारण, जमुई, मधुबनी, कटिहार, किशनगंज, बक्सर, गया और पटना में सर्वे किया जाना है. हर जिले में 5 ब्लॉक का सर्वे होना है, जिसमें 10 ग्राम पंचायत और वार्ड सम्मिलित होंगे. कुल मिलाकर 40 ब्लॉक तक प्रतिनिधि जाएंगे.