पटना: पटना के इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में जीनोमिक्स लैब (Genome Sequencing Test At IGIMS Patna) बनकर तैयार है. संस्थान के अधीक्षक मनीष मंडल ने कहा कि, इसकी जांच के लिए जो खर्च लगता है, उसका फंड सरकार की ओर से आ गया है और किसी भी तरह के फंड की दिक्कत संस्थान को नहीं है. अब आईजीआईएमएस जीनोमिक्स लैब (Genomics Lab At IGIMS Patna) में ही इसकी जांच संभव होगी.
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मनीष मंडल ने कहा कि, इस प्रक्रिया में एक मरीज की जांच करें या 96 मरीज की जांच की जाए, उसकी कीमत 15 लाख रुपये आती है. इसको लेकर बिहार सरकार को पत्र लिखा गया था. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे सहित सभी लोगों ने इसपर अपनी सहमति दी. उसके बाद विभाग के पदाधिकारी ने आईजीआईएमएस के जीनोमिक्स लैब का दौरा किया था.
अब IGIMS में होगा जीनोम सीक्वेंसिंग टेस्ट "जीनोमिक्स लैब अब कार्यरत है. हमने ट्रायल टेस्ट किया, 30 टेस्ट किए. भुवनेश्वर और पुणे से इस टेस्ट को हमने चेक कराया ताकि, मानक पता चल सका. टेस्ट मैच कर गया. सिर्फ डेढ़ करोड़ का जिनोमिक मशीन है. लैब में करीब 5 लाख लगा है. सरकार की तरफ से हमें फंड मिल चुका है. सरकार ने 30 लाख सेंक्शन कर दियाहै."- मनीष मंडल,अधीक्षक, आईजीआईएमएस पटना
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आईजीआईएमएस के अधीक्षक ने बताया कि कोरोना पॉजिटिव मरीजों के वेरिएंट की जांच शुरू कर दी गई है. उन्होंने कहा कि, राज्य सरकार ने इस जांच में खर्च होने वाली राशि की स्वीकृति दे दी है और अब कोरोना पॉजिटिव मरीज की जिनोम सीक्वेंसिंग की जांच के लिए बाहर सैंपल भेजना नहीं पड़ेगा.
बता दें कि जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए आईजीआईएमएस में लगभग डेढ़ वर्ष पूर्व माइसेक इल्यूमिना कंपनी की मशीन इंस्टॉल हुई थी. यह मशीन नेक्स्ट जेनरेशन सीक्वेंसिंग का एडवांस्ड प्लेटफॉर्म है. सीक्वेंसिंग का मतलब होता है, वायरस या बैक्टीरिया का जो भी जेनेटिक मैटेरियल है उसके पूरे सीक्वेंस को रीड करना. जहां तक मशीन के काम करने के प्रोसेस की बात है तो, जीनोम सीक्वेंसिंग के प्रोसेस को 3 स्टेप में डिवाइड किया जाता है. पहला स्टेप होता है लाइब्रेरी प्रिपरेशन. यानी कि इस प्रोसेस में पॉजिटिव सैंपल को कई छोटे-छोटे पीसेस में अलग किया जाता है. जहां सीक्वेंसिंग होती है वहां नैनो चिप लगा होता है और उससे वह बाइंड करता है. क्योंकि वायरस का जीनोम बड़ा होता है और यह 30 KB का होता है. इतनी बड़ी क्षमता का जीनोम मशीन एक बार में रीड नहीं कर सकता.
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दूसरा स्टेप होता है एनजीएस रन, इस प्रक्रिया में एक कॉर्टेज 96 सैंपल की क्षमतावाली होती है. इसमें सैंपल लोड किए जाते हैं और इसके बाद मशीन के बाई तरफ जहां नैनो चिप लगा होता है वहीं, पर सीक्वेंसिंग रिएक्शन होता है. इसके बाद बड़ी मात्रा में डाटा प्रोड्यूस होता है. डाटा काफी बड़ी साइज में होता है और गीगाबाइट की साइज में होता है. ऐसे में इस डाटा के स्टोरेज के लिए पास में ही एक बड़ा सर्वर लगा हुआ रहता है. आईजीआईएमएस की लैब में 13 टेराबाइट का सर्वर लगा हुआ है और यह काफी बड़ा है. यहां डाटा स्टोर होता है.
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जीनोम सीक्वेंसिंग का आखिरी स्टेप एनालिसिस होता है. इस प्रक्रिया में जीनोम सीक्वेंसिंग के प्रोसेस के दौरान जो डाटा निकलता है उसे अन्य डाटा से कंपेयर किया जाता है. जैसे कि वायरस के जीनोम में सबसे पुराने वेरिएंट जोकि बुहान वायरस है, उससे कहां-कहां म्यूटेशन है और अन्य वेरिएंट से कहां अलग हो जाता है और कितना अलग है.
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