बिहार बजट पर सुधाकर सिंह की प्रतिक्रिया पटना:बिहार की राजधानी पटना में मंगलवार को विधानसभा के बजट सत्र के दूसरे दिन बजट पेश किया गया. इसके बाद बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए सरकार में शामिल राष्ट्रीय जनता दल के विधायक और पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह (Former Agriculture Minister Sudhakar Singh ) ने इस पूरे बजट को बकवास करार दिया. उन्होंने कहा कि किसानों के लिए बजट में कुछ भी तो नहीं है. किसानों के लिए निराशा करने वाला बजट है. बजट में वही पुराने घिसे-पीटे आंकड़े हैं. जब सभी को पता है कि बिहार कृषि क्षेत्र में पीछे चला गया है, तो उसके सुधार के लिए नीतिगत बदलाव की जरूरत है. पॉलिसी में चेंजिंग लाने की आवश्यकता है.
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'बिहार 1947 में नहीं 2005 में आजाद हुआ है': किसान समागम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि 2005 से पहले क्या था और उनके आने के बाद कृषि में कितना विकास हुआ है, सब जानते हैं. इसपर सुधाकर सिंह ने कहा कि नीतीश कुमार के हिसाब से बिहार 1947 में देश के साथ आजाद नहीं हुआ था, बल्कि 2005 में आजाद हुआ था. जब से वह मुख्यमंत्री बने हैं और इससे पहले बिहार में कुछ था नहीं जैसा उन्हें लगता है. उन्होंने कहा कि किसानों के हित के लिए जो बिल लाना चाहिए था. वह सरकार का काम था, लेकिन सरकार ने नहीं लाया, तो उन्होंने प्राइवेट बिल के लिए अप्लाई किया है लेकिन अब तक इस पर कोई रिप्लाई नहीं आया है.
"नीतीश कुमार के हिसाब से बिहार 1947 में देश के साथ आजाद नहीं हुआ था, बल्कि 2005 में आजाद हुआ था. जब से वह मुख्यमंत्री बने हैं और इससे पहले बिहार में कुछ था नहीं जैसा उन्हें लगता है.किसानों के हित के लिए जो बिल लाना चाहिए था. वह सरकार का काम था, लेकिन सरकार ने नहीं लाया, तो उन्होंने प्राइवेट बिल के लिए अप्लाई किया है लेकिन अब तक इस पर कोई रिप्लाई नहीं आया है" - सुधाकर सिंह, पूर्व कृषि मंत्री बिहार
अधिकांश किसानों ने कहा, मंडी की आवश्यकताः सुधाकर सिंह ने कहा कि जो प्राइवेट बिल है उस पर बहस हो जाए और दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सामने बताएं कि बिहार के किसानों के लिए उन्होंने क्या किया और सदन में सभी विधायक अपने मत को रखेंगे. किसान समागम में जो किसान अपनी बातों को रखें उसमें अधिकांश किसानों ने कहा कि बिहार में मंडी नहीं है. वह अपने उत्पादों का उत्पादन करके करेंगे क्या, बेचेंगे कहां. किसानों ने अनुमंडल स्तर पर मंडी व्यवस्था लागू करने की मांग की है. उनका भी कहना है कि अनुमंडल और प्रखंड स्तर पर मंडी की व्यवस्था की जाए.
मंडी से छोटे किसानों को होगा फायदाःसुधाकर सिंह ने कहा कि इसके अलावा प्रमंडल स्तर पर एक बड़े मंडी की व्यवस्था की जाए जहां किसान अपने उत्पादों को बेच सकें. प्रखंड स्तर पर यदि मंडी की व्यवस्था हो तो वह गरीब किसान भी अपने उत्पादों को मंडी में भेज पाएगा. जिसके पास अपने उत्पादों को ढोने के साधन का अभाव है. बड़े किसान अपने उत्पादों को लेकर दूर भी जा सकते हैं, लेकिन छोटे किसानों को कोई यदि नजदीक में मंडी मिल जाए तो वह अपने उत्पादों को सिर पर ढोकर भी भेज सकते हैं. बिहार में किसानों की जो दुर्दशा हो रही है. उसका सरकार को अंदाजा नहीं है. बिहार में 75 फीसदी आबादी कृषि पर निर्भर है और इससे किसान काफी प्रभावित हो रहे हैं.