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हार्ट अटैक में नई तकनीक 'वरदान' : एनजीओप्लास्टी में अब घुलने वाले स्टेंट से मरीज को राहत - Asian Hospital Patna

Patna News हार्ट अटैक के मरीजों की नई तकनीक से इलाज में राहत मिलेगी. बिहार के पटना में हार्ट अटैक का सफल ऑपरेशन सफल हो गया है. मरीजों को अब एनजीओप्लास्टी में नई तकनीक के स्टेंट का लाभ मिलेगा. इसके बारे में बता रहे हैं एशियन हॉस्पिटल के डॉक्टर आदित्य कुमार...

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Published : Jan 1, 2023, 7:38 PM IST

एशियन हॉस्पिटल के डॉक्टर आदित्य कुमार

पटनाःबिहार के पटना में भी हार्ट अटैक के मरीजों को अब एनजीओप्लास्टी में नई तकनीक के स्टेंट का लाभ मिलेगा. इसका सफल ऑपरेशन कर लिया गया है. पटना के पाटलिपुत्र स्थित एशियन हॉस्पिटल (Asian Hospital Patna) में 54 वर्षीय एक मरीज का नई तकनीक से सफल एनजीओप्लास्टी किया गया है. सफल ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर आदित्य कुमार ने बताया कि नई तकनीक से एनजीओप्लास्टी करने पर मरीज को बहुत राहत मिलेगी. इससे आगे भी कोई समस्या नहीं होगी.

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मेटल का स्टेंट नुकसानदायकः डॉक्टर आदित्य कुमार ने बताया कि पहले हार्ट अटैक के मरीजों को एनजीओप्लास्टी में मेटल का स्टेंट लगाया जाता था, जो शरीर के लिए नुकसानदायक होता था. अब तकनीक विकसित हो गई है. अब मरीज को पॉलीमर का स्टेंट लगाया जाता है जो शरीर में घुल मिल जाएगा. एक से डेढ़ वर्षों के बाद पता भी नहीं चलेगा कि हर्ट में कोई एनजीओप्लास्टी हुई है. सामान्य भाषा में इसे द सॉल्युबल स्टेंट कहा जाता है. बिहार में पहली बार यह ऑपरेशन सफल हुआ है.

पॉलीमर स्टेंट घुल जाता हैः सफल सर्जरी को अंजाम देने वाले कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर आदित्य कुमार है. उन्होंने बताया कि यह बायो रिवर्सिबल स्कैफोल्ड मेटल फ्री स्टेंट है. पहले जो स्टंट लगाए जाते थे उसमें मेटल का प्लेटफार्म होता था. लेकिन पॉलीमर का स्टेंट नई तकनीक से आया है. उसमें एक दवाई दी जाती है जिससे की आर्टरी का ग्रोथ न हो. इस स्टेंट की सबसे बड़ी खासियत है कि इसमें कोई मेटल का पार्ट नहीं है. डेढ़ से 2 वर्षों में यह पॉलीमर शरीर में घुल जाता है. इससे बाद में पता ही नहीं चलेगा कि शरीर में पहले कोई स्टेंट लगा है.

नई स्टेंट काफी लाभदायकः जिन पेशेंट में ब्लीडिंग का रिस्क अधिक है, जिन्हें प्लेटलेट या ब्लड थिनर अगले 1 साल तक देने की आवश्यकता पड़ती है. ऐसे पेशेंट के लिए यह स्टेंट काफी लाभदायक है. इस स्टेंट को इमप्लांट करने के बाद 1 साल के पहले ही मरीज में ब्लड थिनर का इस्तेमाल बंद किया जा सकता है. इसकी क्षमता आजीवन के लिए है. इस तकनीक से एनजीओप्लास्टी के बाद कुछ समय बाद आर्टरी पूरी तरह से नार्मल दिखने लगेगा.

पॉलीमर स्टेंट थोड़ा महंगा लेकिन अच्छाः डॉक्टर ने बताया कि वैशाली के एक 54 वर्षीय मरीज पहुंचे थे. एंजियोग्राफी में पता चला कि आर्टरी में 90% ब्लॉकेज है. उन लोगों ने नई तकनीक से एनजीओप्लास्टी करने का निर्णय लिया. सर्जरी सफलतापूर्वक संपन्न हुआ. मरीज की तबीयत पूरी तरह स्वस्थ है. बताया कि पॉलीमर का सटेंट थोड़ महंगा है. पहले के स्टेंट से 30 हजार रुपए अधिक महंगा है. इस स्टेंट की कीमत 1 लाख है.

फिजिकल एक्टिविटी पर ध्यान देंःआदित्य कुमार ने बताया कि युवाओं में अब हार्ट अटैक के मामले बढ़ रहे हैं. ऐसे में अपने फिजिकल एक्टिविटी पर ध्यान देना होगा. प्रतिदिन कम से कम 20 मिनट ब्रिस्क वॉक बेहद जरूरी है. खानपान में अधिक कोलेस्ट्रॉल युक्त भोजन नहीं करें. स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं, हाईपरटेंशन और मधुमेह से बचकर रहें. स्मोकिंग और अन्य तंबाकू पदार्थों का सेवन पूरी तरह बंद करें.

क्या है एनजीओप्लास्टी ? :एंजियोप्लास्टी एक ऐसी सर्जिकल प्रक्रिया है, जिसमें हृदय की मांसपेशियों तक ब्लड सप्लाई करने वाली रक्त वाहिकाओं को (ब्लॉकेज) खोला जाता है. मेडिकल भाषा में इन रक्त वाहिकाओं को कोरोनरी आर्टरीज़ कहते हैं. डॉक्टर अक्सर दिल का दौरा या स्ट्रोक जैसी समस्याओं के बाद एंजियोप्लास्टी का सहारा लेते हैं.

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