मसौढ़ी : सरकारी रोक के बावजूद मसौढ़ी के कई गांव में किसान खेतों में पराली जला रहे हैं. किसानों को इस बात का अंदाजा नहीं है कि खेतों में पराली जलाने से न केवल वायु प्रदूषण का खतरा बढ़ता है बल्कि उनके खेतों की मिट्टी में कई तरह की पोषक तत्व खत्म हो जाते हैं. उर्वरा शक्ति कम हो जाती है. खेतों में उत्पादन क्षमता कम हो जाती है. इसके लिए सरकार जागरुकता अभियान भी चला रही है.
जागरूकता अभियान का असर नहीं: खेतों में पराली जलाने से न केवल प्रदूषण का खतरा बढ़ता है बल्कि मिट्टी की ऊर्जा शक्ति भी खत्म हो जाती है. मिट्टी में उपस्थित केंचुआ, कई पोषक तत्व खत्म हो जाते हैं. ऐसे में सरकार के द्वारा लगातार किसानों के बीच किसान पाठशाला चलकर जागरूकता अभियान भी चलाया जाता है कि खेतों में पराली ना जलाएं लेकिन मसौढ़ी की कई गांव में इन दिनों धान की कटाई हो जाने के बाद लगातार किसी किसान के द्वारा खेतों में पराली जलाई जा रही है. जानकारों के अनुसार खेतों में पराली जलाना एक तरह से अपराध है. एनजीटी के नियमों का उल्लंघन हो रहा है.
खेतों में पराली रहे हैं तो सावधान! पकड़े जाने पर सरकारी योजना के लाभ से कर दिये जाएंगे वंचित
खेतों में धान की कटाई शुरू हो चुकी है. इसके साथ ही कई गांव में किसान खेतों में परली भी जला रहे हैं. ऐसे में खेतों में पराली नहीं जलाने को लेकर सरकार गांव-गांव में किसानों के बीच जागरूकता अभियान भी चल रही है. लेकिन फिर भी किसान पराली जला रहे हैं. जानिये, कृषि अधिकारी क्या कह रहे हैं.
Published : Nov 5, 2023, 6:22 PM IST
पराली जलाना कानूनन अपराधः प्रखंड कृषि पदाधिकारी शकील अहमद खान ने बताया कि"लगातार किसान सलाहकार और किसान कोऑर्डिनेटर के द्वारा पंचायत स्तर पर किसानों के बीच जा कर खेतों में पराली नहीं जलाने को लेकर उन्हें जागरूक भी किया जाता है. वैसे किसान जो लगातार पराली जला रहे होते हैं उन पर कानूनी कार्रवाई भी की जाती है. उनका पंजीयन 3 साल के लिए बंद किया जाता है उन्हें सरकार की किसी भी योजना के लाभ से वंचित भी कर दिया जाता है. ऐसे में पिछले साल भी लगातार कई किसानों पर कार्यवाही की गई थी."