पटना : बिहार की राजधानी पटना से सटे फुलवारी में एक विधायक ऐसे हैं, जो अब भी बीपीएल परिवार से आते है. इनका घर आधा झोपड़ी और आधा खपरैल का है. उनकी पत्नी ने दूसरे के घरों में काम कर पांच बच्चों का भरण पोषण किया. आज भी अपने संघर्ष की कहानी सुनाते-सुनाते वह रो पड़ती है. यह विधायक कोई और नहीं फुलवारी विधानसभा क्षेत्र के विधायक गोपाल रविदासहैं.
42 साल पहले शुरू किया था सियासी सफर : छात्र नेता से अपना सियासी सफर शुरू करने के 42 वर्ष बाद भाकपा माले से विधायक बने हैं. उन्होंने अपने बच्चों को सरकारी विद्यालय में पढ़ाया. यह गोपाल रविदास जिनकी एक लंबी संघर्ष की कहानी है. एक छात्र नेता के रूप में 1982 में सियासी सफर की शुरुआत की थी. उसके बाद लाल झंडे के सहारे अपने राजनीतिक जीवन में संघर्ष किया. उनकी पत्नी कहती हैं कि कभी-कभी 6-7 महीना पर घर आते थे.
"किसी तरह से पांच बच्चों को दूसरों के घर में चौका बर्तन कर हमने पढ़ाया लिखाया है. आज सभी बच्चे सरकारी विद्यालय में अपनी पढ़ाई कर रहे हैं."- कमलावती देवी, विधायक की पत्नी
भाकपा माले से मिला था टिकट : वहीं गोपाल रविदास ने बताया कि लाल झंडा यानी भाकपा माले से राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी. हमेशा गरीबों वंचितों की आवाज बनकर गांव-गांव से बुनियादी समस्याओं के लिए नौकरशाहों और सिस्टम के साथ लड़ते थे. इसको लेकर भाकपा माले ने फुलवारी विधानसभा से टिकट दिया. फिर इन्हें जनमत मिला और आज यह विधायक हैं. धीरे-धीरे उनकी स्थिति में सुधार आने लगा है. फिर भी आज उनकी जिंदगी सादगी भरी है.