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छठ पर लिखी मृदुला की रचनाएं बिखेरती रहीं गांव की खुशबू, उनकी किताब पर बन चुकी है फिल्म

गोवा की पहली महिला राज्यपाल मृदुला सिन्हा का 78 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. बिहार की रहने वाली मृदुला एक कुशल लेखिका थीं. बिहार की लोककथाओं और पर्व पर मृदुला के लिखे लेख लोगों में अपना एक अलग ही प्रभाव छोड़ते रहे हैं.

मृदुला सिन्हा
मृदुला सिन्हा

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Published : Nov 18, 2020, 5:54 PM IST

पटना : बिहार के मुजफ्फरपुर जिले की रहने वाली गोवा की पहली महिला राज्यपाल मृदुला सिन्हा का निधन हो गया. मृदुला के निधन पर पीएम मोदी और सीएम नीतीश कुमार समेत कई राजनेताओं ने शोक व्यक्त किया है. वो एक कुशल लेखिका थीं. छठ महापर्व पर मृदुला, जब-जब कुछ लिखतीं थीं, तो लगता था मानों गांव की मिट्टी की सोंधी खुशबू बिखेर दी गई हो.

  • मृदुला सिन्हा का जन्म 27 नवंबर 1942 को मुजफ्फरपुर के छपरा गांव में हुआ था. वे एक सुविख्यात हिंदी लेखिका थीं.
  • मृदुला भारतीय जनता पार्टी की केन्द्रीय कार्यसमिति की सदस्य रहीं हैं.
    गोवा की पूर्व राज्यपाल मृदुला सिन्हा
  • लेखक के तौर पर वो पांचवां स्तम्भ के नाम से एक सामाजिक पत्रिका की संपादक थीं.
  • भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी के शासन काल में उन्हें केन्द्रीय समाज कल्याण बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया था.
    स्वच्छ भारत अभियान की मुहिम में शामिल हुईं मृदुला सिन्हा
  • मृदुला की एक किताब 'एक थी रानी, ऐसी भी' की पृष्ठभूमि पर आधारित राजमाता विजया राजे सिन्धिया को लेकर एक फिल्म बनाई जा चुकी है.
    पीएम मोदी के साथ मृदुला सिन्हा

राजनीति में ऐसे रखे कदम

  • मनोविज्ञान में एमए करने के बाद उन्होंने बीएड किया.
  • वो मुजफ्फरपुर के एक कॉलेज में प्रवक्ता भी रहीं हैं.
  • कुछ समय तक मोतीहारी के एक विद्यालय में प्रिंसिपल भी रहीं.
    (फाइल फोटो)
  • उन्होंने हिन्दी साहित्य की सेवा के लिये स्वयं को समर्पित कर दिया.
  • उनके पति डॉ. रामकृपाल सिन्हा, जो विवाह के वक्त किसी कॉलेज में अंग्रेजी के प्रवक्ता हुआ करते थे, जब बिहार सरकार में मन्त्री हो गये तो मृदुला जी ने भी साहित्य के साथ-साथ राजनीति की सेवा शुरू कर दी. आज तक यह सिलसिला लगातार जारी रहा.
    गोवा की पूर्व राज्यपाल मृदुला सिन्हा

मृदुला सिन्हा की रचनाएं
मृदुला सिन्हा की लिखे लेख राजपथ से लोकपथ पर, नई देवयानी, ज्यों मेंहदी को रंग, घरवास, यायावरी आँखों से, देखन में छोटे लगें, सीता पुनि बोलीं, बिहार की लोककथायें -एक, बिहार की लोककथायें -दो, ढाई बीघा जमीन, मात्र देह नहीं है औरत, विकास का विश्‍वास, साक्षात्‍कार, अतिशय, स्पर्श की तासीर, क ख ग, मानवी के नाते, पुराण के बच्चे, विकास का विश्वास, एक दिए की दीवाली आदि हैं.

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