पटना: बिहार के नालंदा जिले की रहने वाली श्वेता शाही ने रग्बी (Rugby Player Shweta Shahi) के जरिए दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाई है. श्वेता साही ने ईटीवी भारत से खास बातचीतके दौरान कहा कि जब मैं रग्बी खेलने के लिए उत्साहित हुई तो गांव के लोग कई प्रकार की बात करते थे. लेकिन घर परिवार का पूरा सपोर्ट मिला. उन्होंने कहा कि गांव में खेल का मैदान नहीं है. इसके बाबजूद जोश व जुनून से खेतों में खेलना शुरू किया.
2012 में हुआ था बिहार रग्बी टीम में चयन: रग्बी खिलाड़ी श्वेता शाही (Struggle Story Of International Rugby Player) का सबसे पहले चयन 2012 में बिहार रग्बी की टीम में हुआ था. यह टूर्नामेंट उड़ीसा में हुआ था. इसके बाद तो श्वेता को मानों सफलता के पंख लग गए. चेन्नई में एशियन रग्बी सेवन-ए साइड ओलंपिक प्री क्वालिफायर प्रतियोगिता में कजाकिस्तान में बेहतर प्रदर्शन कर अपनी जगह पक्की कर ली. इतना ही नहीं नालंदा की इस बेटी ने 2015 में महिला दिवस पर 60वीं राष्ट्रीय स्कूल गेम्स में अपने बेहतरीन प्रदर्शन से गोल्ड मेडल दिलाया था. इस टूर्नामेंट में उसे बेस्ट प्लेयर का अवार्ड भी मिला था.
ग्राउंड नहीं होने पर करती थी खेत में प्रैक्टिस:श्वेता शाही ने कहा कि गांव में ग्राउंड के अभाव के कारण वह खेतों में खेल का प्रैक्टिस करती थी. हालांकि श्वेता अपनी मेहनत की बदौलत और यूट्यूब से देख रग्बी सीखती थीं. बिना कोच के रग्बी में महारत हासिल करने वाली श्वेता का चारों तरफ जय जयकार हो रहा है. श्वेता ने बताया कि क्रिकेट, फुटबॉल अन्य खेलों के मुकाबले रग्बी थोड़ा टफ है. लेकिन अगर हौसला बुलंद हो तो सपनों को साकार किया जा सकता है.
बिहार में खेल ग्राउंड का अभाव:श्वेता के पिता सुजीत कुमार शाही किसान हैं और किसान की पुत्री श्वेता अपने बिहार के साथ-साथ पूरे देश का भी मान सम्मान बढ़ाने का काम किया है. श्वेता ने कहा कि बिहार सरकार खेल के प्रति लोगों को जरूर जागरूक करती है लेकिन खेल ग्राउंड का अभी भी बिहार में अभाव है. .जो खेल ग्राउंड है उसमें रग्बी का ग्राउंड नहीं है.
"रग्बी का ग्राउंड ग्रास ग्राउंड होना चाहिए पर बिहार में एक ही ग्राउंड पर क्रिकेट फुटबॉल ओर अन्य खेल होता है. बिहार की लड़कियां अब दिन प्रतिदिन अपने सपनों को साकार करने के लिए आगे बढ़ रही हैं जो लड़कियां अपने सपनों को लेकर आगे बढ़ती है उनका सपना जरूर पूरा होता है. शुरुआती दिनों में गांव समाज के लोग जरूर ताना मारते हैं लेकिन जब आप किसी मुकाम पर पहुंच जाते हैं तो वही लोग आपको प्यार सम्मान देने का काम करते हैं इसलिए लोगों की बातों पर ध्यान न देकर आपको जिस फील्ड में जाना हो कैरियर बनाना हो उस फील्ड में आगे बढ़ें."-श्वेता शाही, अंतरराष्ट्रीय रग्बी खिलाड़ी