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'जब नीतीश कुमार इन मुद्दों पर NDA छोड़ेंगे, तो RJD उनके साथ मजबूती से खड़ा होगा'

बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने भी कहा है कि अगर सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार महागठबंधन में आने की सोचते हैं, तो इससे उनको कोई ऐतराज नहीं होगा.

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Published : Jun 12, 2019, 4:27 PM IST

पटना: बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार सहित जेडीयू और बीजेपी के नेता भले ही संबंधों में किसी प्रकार की कटुता से इंकार कर रहे हों, लेकिन जेडीयू के बिहार के अलावा अन्य राज्यों में अपने दम पर चुनाव लड़ने और बीजेपी के कई मुद्दों पर अलग राय रखने के बाद इन दो दलों के संबंधों में खटास के कयास लगने लगे हैं.

वैसे, नीतीश किसी भी गठबंधन में रहे हों, उनकी राजनीति अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं करने की रही है. नीतीश की पार्टी जेडीयू जब राजद के साथ महागठबंधन भी थी, तब भी नीतीश ने केन्द्र सरकार की नोटबंदी की तारीफ की थी. तब भी महागठबंधन के साथ नीतीश के रिश्ते को लेकर कयास लगाए जाने लगे थे और आज फिर भाजपा के साथ नीतीश के रिश्तों को लेकर कयासों का दौर गर्म है.

आरजेडी का ऑफर- नीतीश कुमार क्या करेंगे?
बिहार की मुख्य विपक्षी पार्टी आरजेडी ने तो नीतीश को महागठबंधन में आने का न्योता तक दे दिया है. राजद उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी कहते हैं, 'केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के जम्मू एवं कश्मीर में धारा-370 और 35-ए हटाने, राम मंदिर बनाने और सामान आचार संहिता लागू करने के मुद्दे पर नीतीश कुमार क्या करेंगे?' उन्होंने आगे कहा, 'नीतीश कुमार को भगवान भाजपा के खिलाफ चेहरा बनने का एक और मौका दे रहा है और जब नीतीश कुमार इन मुद्दों पर राजग छोड़ेंगे, तो राजद उनके साथ मजबूती से खड़ा होगा.'

विधानसभा चुनाव में अकेले मैदान में उतरेगा जेडीयू
इसके अलावा बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने भी कहा है कि अगर सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार महागठबंधन में आने की सोचते हैं, तो इससे उनको कोई ऐतराज नहीं होगा. दरअसल, नीतीश कुमार की पार्टी एनडीए के साथ जरूर है, लेकिन उन्होंने केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने से इंकार कर दिया है. यही नहीं, जेडीयू महासचिव केसी त्यागी ने भी साफ कर दिया है कि जेडीयू चार राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव में अकेले मैदान में उतरेगी.

'जेडीयू एनडीए में है और आगे भी रहेगा'
इस घोषणा के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नीतीश कुमार की प्रशंसा करते हुए इस निर्णय के लिए धन्यवाद भी दिया है. हालांकि जेडीयू के प्रवक्ता अजय आलोक ने स्पष्ट किया कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को खुशफहमी नहीं पालनी चाहिए. उन्होंने कहा, 'वह धन्यवाद देती हैं, ठीक है, लेकिन जेडीयू एनडीए में है और आगे भी रहेगा. इसमें किसी को संशय नहीं रहना चाहिए.' आलोक ने कहा, 'धन्यवाद से गलतियां कम नहीं हो जातीं. वहां से बिहारियों को भगाया जा रहा है. लगातार हत्याओं का दौर भी चल रहा है.'

क्षेत्रीय दल एकजुट हो- आरजेडी उपाध्यक्ष
राजद उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह ने भी भाजपा को हराने के लिए सभी छोटे और क्षेत्रीय दलों को एकजुट होने को कहा है. उन्होंने नीतीश कुमार के जेडीयू को भी महागठबंधन में आने का न्योता दिया है.

'जेडीयू और बीजेपी के सिद्धांत भी अलग-अलग'
बिहार की राजनीति के जानकार सुरेंद्र किशोर कहते हैं कि इसमें कोई नई बात नहीं है. उन्होंने कहा, 'नीतीश कुमार जब इससे पहले भी एनडीए में थे, तब भी अन्य राज्यों में उन्होंने अकेले चुनाव लड़ा था और अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री काल में भी जेडीयू जम्मू एवं कश्मीर में धारा 370 का विरोध करती रही है.' किशोर कहते हैं, 'सभी पार्टियों के अपने सिद्धांत हैं. जेडीयू और बीजेपी के सिद्धांत भी अलग-अलग हैं. नीतीश अपनी पार्टी के सिद्धांतों में रहकर राजग में हैं.' उन्होंने संभावना जताई कि 'बीजेपी भी यही चाहती होगी कि नीतीश एनडीए में रहकर धारा 370 का विरोध करें, ताकि जेडीयू के बहाने एनडीए को भी अल्पसंख्यकों का वोट मिले.'

नीतीश कुमार ने भी सोमवार को राजग में किसी प्रकार की कटुता से इंकार करते हुए कहा कि मंत्रिमंडल में सांकेतिक रूप से शामिल नहीं होने का निर्णय जेडीयू का है. उन्होंने कहा, 'भाजपा के साथ आपसी संबंधों में कोई कटुता नहीं है. जैसे पहले सौहार्द का संबंध था, वैसे आज भी है.' बहरहाल, नीतीश के जेडीयू को लेकर कयासों का दौर जारी है और एनडीए में रहकर जेडीयू के बीजेपी विरोध पर लोग अब कहने लगे हैं कि 'यह रिश्ता क्या कहलाता है'.

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