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BJP का ऑफर नीतीश को नामंजूर, बोले- सांकेतिक भागीदारी मंजूर नहीं - nda

बिहार में जदयू बीजेपी की मुख्य सहयोगी पार्टी रही है. लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 17 सीट और जदयू ने 16 सीटों पर जीत दर्ज की थी. माना जाता है कि जदयू को मोदी मंत्रिपरिषद में एक स्थान मिल रहा था, ऐसे में एनडीए की सहयोगी पार्टी जेडीयू को यह मंजूर नहीं था.

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Published : May 31, 2019, 1:26 PM IST

पटना: पीएम मोदी की नयी सरकार में बिहार के एनडीए घटक दलों में एक जेडीयू के एक सांसद को मंत्रालय सौंपा जा रहा था. इसके बाद जेडीयू ने मंत्रालय में शामिल होने को लेकर मना कर दिया था. इस पर सीएम नीतीश कुमार ने प्रेस वार्ता में कहा कि पार्टी को सांकेतिक भागीदारी मंजूर नहीं है.

जदयू अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि वे मंत्रिमंडल में जेडीयू से सिर्फ एक व्यक्ति चाहते थे, इसलिए यह सिर्फ एक प्रतिकात्मक भागीदारी थी. हमने उन्हें सूचित किया कि ठीक है, हमें इसकी आवश्यकता है. यह कोई बड़ा मुद्दा नहीं है, हम पूरी तरह से एनडीए में हैं और परेशान नहीं हैं. हम एक साथ काम कर रहे हैं, कोई भ्रम नहीं है. हालांकि, नीतीश कुमार शपथ ग्रहण समारोह में पहुंचे.

सीएम नीतीश कुमार

क्या बोले सीएम नीतीश

  • इससे कोई मतभेद नहीं है. हम लोग साथ हैं. कोई परेशानी नहीं है. मिल-जुलकर काम करेंगे. बिहार में साथ में काम कर रहे हैं.
  • बिहार के हित के लिए काम किया है. केंद्र में सांकेतिक रूप से भागीदारी करने का कोई इच्छा नहीं है. पार्टी के अंदर कोई असहमति नहीं है. सरकार का तो पूरा समर्थन है.
  • प्रपोर्शन डिसाइड करने का काम उनका नहीं था. हमने कभी मांग नहीं की है. उनका प्रस्ताव एक का था. यह एक सिंबॉल था. हम लोग साथ हैं. बिहार में जैसा कैंपेन हुआ है. पूरी बुलंदी से हुआ है.
  • हर किसी ने एक दूसरे का सहयोग किया है. पूर्ण बहुमत वाली पार्टी का काम होता है, किसको मंत्री बनाया जाए. या नहीं. सांकेतिक भागीदारी में पार्टी नहीं रहेगी.
  • नंबर की बात बिल्कुल गलत है. शाह और भूपेंद्र यादव से बातचीत हुई है. बिना मंत्रिमंडल के हम लोग साथ हैं. बाद में साथ होंगे तो लोग कहेंगे कि हमलोग नाराज थे. हमलोग की कोई आवश्यकता नहीं है.
  • अटल जी की सरकार अलांयस की सरकार थी. उनका प्रस्ताव सिंबॉलिक है. ये जो जीत है. वो जनता की जीत है. बिहार के लोगों की जीत है.
  • हम सच कह रहे हैं कि हमारे पार्टी के अंदर भी किसी का चेहरा उदास नहीं हुआ है. एक के बारे में कह दिया गया कि पीएमओ पहुंच गए हैं. लेकिन, वो घर में बैठे थे.
  • सरकार में जाना ही साथ रहने का प्रमाण नहीं है. प्रारंभ की बातचीत ही आखिरी बातचीत होती है. हर मीटिंग में भाग ले रहे हैं. पिछड़े राज्यों के पिछड़ेपन को दूर करने के लिए काम होना चाहिए.
  • नारी सशक्तिकरण पर काम होना चाहिए. इस बारे में पहले से ही बता दिया हूं. पार्टी अध्यक्ष के तौर पर कह रहा हूं कि आगे भी कुछ नहीं कहूंगा. कोई मंत्रालय नहीं मांगेंगे. 2020 पर इसका कोई असर नहीं पडे़गा.
  • हमारे कार्यकर्ता मायूस नहीं हैं. हमारे जो समर्थक जो हैं वो हमारे साथ हैं. उनको इनसे कोई फर्क नहीं पड़ता है.
  • किसको गृह मंत्री बनाया गया है. ये पीएम की स्वतंत्रता है. राजनाथ सिंह पर कुछ नहीं कहेंगे. ये पीएम का अधिकार है.

बता दें कि कि बिहार में जदयू बीजेपी की मुख्य सहयोगी पार्टी रही है. लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 17 सीट और जदयू ने 16 सीटों पर जीत दर्ज की थी. माना जाता है कि जदयू को मोदी मंत्रिपरिषद में एक स्थान मिल रहा था, ऐसे में एनडीए की सहयोगी पार्टी जेडीयू को यह मंजूर नहीं था.

जेडीयू के 16 सांसद
इस बार जेडीयू के 16 सांसद चुने गए हैं उसमें बांका से जेडीयू के गिरधारी यादव, भागलपुर से अजय कुमार मंडल, गया से विजय कुमार, गोपालगंज से डॉ आलोक कुमार सुमन, पूर्णिया से संतोष कुमार, नालंदा से कौशलेंद्र कुमार, झंझारपुर से रामप्रीत मंडल, काराकाट से महाबली सिंह, कटिहार से दुलाल चंद्र गोस्वामी, सुपौल से दिलेश्वर कामैत, सीवान से कविता सिंह, जहानाबाद से चंदेश्वर प्रसाद, सीतामढ़ी से सुनील कुमार पिंटू, वाल्मीकि नगर से वैद्नाथ प्रसाद महतो, मुंगेर से ललन सिंह और मधेपुरा से दिनेश चंद्र यादव ने जीत दर्ज की है.

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