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'मसौढ़ी में लोजपा की नहीं गलेगी दाल, नीतीश ने अच्छा किया है काम'

मसौढ़ी विधानसभा सीट राजद और जदयू के लिए रणक्षेत्र रही है. मसौढ़ी विधानसभा में जातीय गोलबंदी शुरुआत के समय से ही होती रही है. इसलिए यहां कास्ट फैक्टर भी बहुत काम करता है. बहरहाल इस बार लोजपा, राजद और जदयू के खेल को कितना बिगाड़ पाएगी ये वक्त और मतदाता तय करेंगे.

चुनावी महासमर
चुनावी महासमर

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Published : Oct 13, 2020, 1:31 PM IST

पटनाः पाटलिपुत्र लोकसभा की सबसे हॉट सीट मसौढ़ी विधानसभा क्षेत्र है. जहां हमेशा राजद और जदयू की आमने-सामने की टक्कर रहती है. पिछले पांच चुनावों की बात करें तो तीन बार राजद और दो बार जदयू के सिर पर जीत का सेहरा बंधा है. लेकिन इस बार दोनों के बीच लोजपा की एंट्री होने से चुनावी खेल क्या होगा ये कहना अभी मुशकिल है.

मसौढ़ी विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र

मसौढ़ी विधानसभा के चुनावी दंगल में इस बार 13 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. लेकिन सीधी लड़ाई सिर्फ महागठबंधन और एनडीए के बीच होगी. वहीं, लोजपा का मसौढ़ी विधानसभा क्षेत्र में अब तक माहौल नहीं बन पाया है. जिससे ये कयास लगाये जा रहे हैं कि मसौढ़ी में लोजपा ज्यादा कुछ नहीं कर पाएगी.

किसके सिर बंधेगा इस बार जीत का सेहरा?
जदयू उम्मीदवार नूतन पासवान का कहना है कि लोजपा के चुनावी मैदान में आने से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है. क्योंकि सभी तबके के लोग हमारे साथ हैं. पूरा समाज हमारे साथ है. मुझे ऐसा नहीं लग रहा कि लोजपा यहां कुछ कर पाएगी. वहीं, स्थानीय लोग भी नीतीश कुमार के कामों की खूब सराहना कर रहे हैं. ऐसे में अब देखना यह होगा कि इस बार का सेहरा किसके सिर बंधता है. क्योंकि मसौढ़ी विधानसभा में राजद और जदयू के बीच शह-मात का खेल होता रहा है.

नीतीश कुमार के खिलाफ चिराग पासवान
हालांकि राजनीतिक जानकारों कि मानें तो जदयू का खेल बिगाड़ने के लिए जहां-जहां जदयू के उम्मीदवार हैं, वहां लोजपा ने अपने उम्मीदवार उतारे हैं. ताकी उनका वोट काट सकें. एनडीए में सीट शेयरिंग के समय से ही लोजपा प्रमुख चिराग पासवान नीतीश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोल बैठे थे. यहां तक कि चुनाव के बाद सात निश्चय में भ्रष्टाचार की जांच करवाने की बात कहने लगे. लेकिन अंततः चिराग पासवान ने नीतीश कुमार को सबक सिखाने की ठान ली है. और जदयू का खेल बिगाड़ने को लेकर अपना उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतार चुके हैं.

बयान देती जदयू प्रत्याशी और स्थानीय

'लोजपा का खाता भी नहीं खुलेगा'
बता दें कि मसौढ़ी विधानसभा सीट राजद और जदयू के लिए रणक्षेत्र रही है. मसौढ़ी विधानसभा में जातीय गोलबंदी शुरुआत के समय से ही होती रही है. इसलिए यहां कास्ट फैक्टर भी बहुत काम करता है. बहरहाल इस बार लोजपा, राजद और जदयू के खेल को कितना बिगाड पाएगी ये तो आने वाला वक्त ही बतायेगा. लेकिन प्रत्याशियों की माने तो लोजपा की दाल मसौढ़ी में नहीं गलने वाली है, जदयू उम्मीदवार नूतन पासवान ने तो यहां तक कह दिया कि मसौढ़ी विधानसभा में लोजपा का खाता भी नहीं खुलेगा.

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