पटना:इन दिनों बिहार और नेपाल के बॉर्डर पर नशीली पदार्थों की तस्करी बढ़ गई है. बिहार में लागू शराबबंदी का नेपाली तस्कर जमकर धज्जियां उड़ा रहे हैं. नेपाली शराब बड़े पैमाने पर बिहार भेजी जाती है. इसको लेकर सशस्त्र सीमा बल के आईजी पंकज दराद ने राजधानी पटना में बैठक की.
ये भी पढ़ें- पुलिस और आम जनता के बीच के संबंध को ठीक करने की है जरूरत: एसके सिंघल
बैठक में आईजी पंकज दराद ने जानकारी दी कि साल 2020 में एक लाख 35 हजार 574 लीटर शराब एसएसबी ने नेपाल बॉर्डर पर जब्त किया था. वहीं, एसएसबी ने 881 लोगों को शराब तस्करी के मामले में गिरफ्तार किया था. वहीं, लॉकडाउन के दौरान भी शराब तस्करी के मामले सामने आए थे. इसमें भी कई शराब तस्कर की गिरफ्तारी हुई थी.
2581 लोगों की गिरफ्तारी
इसके अलावा पंकज दराद ने कहा कि नेपाल से खूब नशीली पदार्थों की तस्करी हुई है. इसमें गांजा और चरस की सबसे ज्यादा सप्लाई की गई है. हालांकि एसएसबी की टीम ने साल 2020 में 828 केजी मादक पदार्थ जब्त किए हैं. वहीं, 2581 लोगों को भी मादक तस्करी में गिरफ्तार किया गया है.
लोगों को दी जाती है डॉक्टरी सुविधा
सीमावर्ती जिलों में एसएसबी की ओर से से डॉक्टरी सुविधा भी ग्रामीणों के बीच उपलब्ध करवाई जाती है. गांव के लोगों के इलाज के लिए दवा के साथ ही जानवरों के इलाज के लिए भी दवा का वितरण किया जाता है. साथ ही साथ एसएसबी युवकों को स्वरोजगार की ट्रेनिंग भी देते हैं. वहीं, जरूरतमंद लोगों की मदद भी की जाती है.
पंकज दराद, आईजी, सशस्त्र सीमा बल एक लाख फेक करेंसी जब्त
इस मौके पर एसएसबी के डीआईजी सुधीर वर्मा ने बताया कि साल 2020 में 3 केस में एक लाख फेक करेंसी एसएसबी ने पकड़ा है. वहीं, जानवर, ब्लैक पेपर, पेट्रोल-डीजल, फर्टिलाइजर, कपड़े और मेडिसिन में कुल 17 से 33 लोगों को तस्करी करते हुए पकड़ा गया है. बच्चे और महिलाओं की ट्रैफिकिंग में साल 2020 में कुल 25 केस सामने आए हैं. इसमें ह्यूमन ट्रैफिकिंग के शिकार 33 नेपाली-भारतीयों को छुड़ाया गया.
108 नक्सली गिरफ्तार
एसएसबी की ओर से चलाए गए नक्सल अभियान में साल 2020 में 96 हथियार बरामद किया गया तो 108 नक्सलियों को भी गिरफ्तार किया गया. इन नक्सलियों के पास से 117 किलो एक्सप्लोसिव बरामद किया गया है. एसएसबी ने कार्रवाई करते हुए 588 अफीम की खेती को बिहार और झारखंड में नष्ट किया.
गांव वालों की सुविधा के लिए कई कार्यक्रम
इसके साथ ही एसएसबी समय-समय पर बॉर्डर इलाके में गांव वालों की सुविधा के लिए कई कार्यक्रम चलाते हैं. आसपास के गांव के लोग जो स्वरोजगार पाना चाहते हैं लेकिन पैसे की कमी के कारण रोजगार नहीं कर पाते हैं, वैसे लोगों को एसएसबी खुद के पैसे देकर मदद करते हैं. आस-पास के गांव वालों के लिए एंबुलेंस की भी व्यवस्था एसएसबी की ओर से की जाती है.