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VIDEO: लोक गायिका मनीषा श्रीवास्तव के साथ छठ के गीतों को लेकर खास बातचीत

मनीषा ने बताया कि वह शादी से पहले छठ व्रत कर चुकी हैं और उनके मायके में कुंवारी लड़कियां भी छठ व्रत करती हैं. उन्होंने बताया कि वह शादी के बाद छठ के दिन घर में अपने सासू मां के छठ व्रत में सहयोग करती हैं और कभी-कभी उन्हें छठ पर्व के दिन ही लाइव प्रोग्राम के सिलसिले में बाहर भी रहना पड़ता है.

Manisha Srivastava
Manisha Srivastava

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Published : Nov 13, 2020, 5:57 PM IST

पटना:लोक आस्था के महापर्व छठ का समय चल रहा है और चारों तरफ से छठी मैया के गीत बजते हुए सुनाई दे रहे हैं. लॉकडाउन में खाली बैठे कलाकार अनलॉक होते ही छठ को लेकर कई सारे गाने गाए हैं और उनकी शूटिंग भी पूरी कर चुके हैं. ऐसे में बिहार से भोजपुरी जगत में अपने लोकगीतों के माध्यम से एक अलग पहचान बना चुकी गायिका मनीषा श्रीवास्तव ने भी इस बार छठ को लेकर दो गानों की शूटिंग की है. छठ पर्व को लेकर लोक गायिका मनीषा श्रीवास्तव से ईटीवी भारत संवाददाता ने खास बातचीत की.

मनीषा श्रीवास्तव ने बताया कि इस बार उन्होंने छठी मैया के 2 गाने गाए हैं, जिसमें एक गाना युवाओं से जुड़ा हुआ है. उन्होंने बताया कि हम सभी छठ व्रत का आनंद प्राप्त करना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि युवा वर्ग भी अब जिस प्रकार से छठ करने को लेकर अपनी उत्सुकता दिखा रहा है. उसी को उन्होंने गाने में यह दर्शाया है.

मुस्लिम परिवार भी करते हैं छठ
ईटीवी भारत से बात करते हुए मनीषा ने बताया कि उन्होंने जो दूसरा गाना गाया है. वह मुस्लिम परिवार के उन लोगों पर है, जो लोग छठ व्रत करती हैं. उन्होंने बताया कि मुस्लिम परिवार के लोग जब कोई मन्नत मांगते हैं और छठ व्रत करते हैं. तो कैसे वह समाज को एकता संदेश देते हुए हुए पूरी आस्था के साथ छठ व्रत करते हैं.

लोक गायिका से खास बातचीत

'कुंवारी लड़कियां भी करतीं हैं छठ व्रत'
मनीषा ने बताया कि वह शादी से पहले छठ व्रत कर चुकी हैं और उनके मायके में कुंवारी लड़कियां भी छठ व्रत करती हैं. उन्होंने बताया कि वह शादी के बाद छठ के दिन घर में अपने सासू मां के छठ व्रत में सहयोग करती हैं और कभी-कभी उन्हें छठ पर्व के दिन ही लाइव प्रोग्राम के सिलसिले में बाहर भी रहना पड़ता है.

लोक गायिका मनीषा श्रीवास्तव ने बताया कि महापर्व छठ सामाजिक एकता का संदेश देता है और इस व्रत में कल सूप शूद्र के यहां से आता है. दीये कुम्हार के यहां से आते हैं, दूध अहीर के यहां से आता है, फूल माली के यहां से आता है पान का पत्ता पानहेरी के पास से. इस प्रकार इस पर्व में सभी जातियों की महत्ता पता चलती है और यह पता चलता है कि सभी एक हैं और बिना एक दूसरे के सहयोग के कोई कार्य संभव नहीं है. उन्होंने कहा कि यही एक व्रत है जहां सभी तबके के लोग एक साथ छठ घाट पर जुट कर भगवान भास्कर को अर्घ्य देते हैं. मनीषा ने कहा कि छठ के पदों में उनका जो पसंदीदा गीत है. वह भी एक ऐसा ही गीत है जिसमें सामाजिक एकता को दर्शाया गया है और उन्होंने गीत गाकर भी सुनाएं.

मनीषा ने बताया कि वह साल 2007 से ही लोक गीत गा रहे हैं और स्टेज परफॉर्मेंस कर रही हैं. उन्होंने बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट भोजपुरी के लोकगीतों में अपना कैरियर शुरू किया और वह अब तक कई सारे गाने गा चुकी हैं. उन्होंने बताया कि उन्होंने जो अधिकांश गाने गाए हैं.

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