बिहार : बलात्कार और अपहरण में लगातार बढ़ोतरी, देखें 2005 की तुलना में 2019 की स्थिति - crime increase in Bihar in 2019 as compared to 2005
एडीजी मुख्यालय जितेंद्र कुमार के मुताबिक पुलिस मुख्यालय भवन निर्माण के पीछे सरकार का सभी पुलिस कार्यालयों को एक जगह इकट्ठा करना ही मुख्य मकसद था. बिहार के सभी जिलों में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में आधुनिक सुविधाओं से युक्त पुलिस थाना बनाए जा रहे हैं. यह सब बदलने के पीछे पुलिस मुख्यालय का मकसद सिर्फ पुलिस कार्य पद्धति को बदलना है.
पटना
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Published : Jul 28, 2020, 8:28 PM IST
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Updated : Jul 28, 2020, 9:53 PM IST
पटना: वर्ष 2005 में बिहार की सत्ता संभालते समय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 3C यानी क्राइम, करप्सन और कम्युनलिज्म से कोई समझौता नहीं करने का नारा दिया था. साथ ही उन्होंने जीरो टॉलरेंस की बात भी कही थी. इसी क्रम में उन्होंने अपराध की घटनाओं पर लगाम लगाने के उद्देश्य से पटना में हजारों करोड़ रुपयों की लागत से सरदार पटेल भवन का निर्माण करवाया था.
भवन में पुलिस मुख्यालय सहित सभी पुलिस कार्यालयों को एक छत के नीचे स्थापित किया गया था. इतने भागीरथ प्रयास के बावजूद साल 2005 की तुलना में 2019 तक कुछ मामलों में अपराध की घटनाओं में वृद्धि दर्ज की गई है. पुलिस मुख्यालय के अनुसार घटनाओं में वृद्धि का कारण जनसंख्या में वृद्धि दर का होना रहा है.
वर्ष 2005 और 2019 के आपराधिक आंकड़ों पर एक नजर-
साल
2005
2019
हत्या
3423
3138
डकैती
1191
391
रॉबरी
2379
2399
चोरी
11809
4599
किडनैपिंग
2226
10925
बैंक डकैती
26
12
रेप
973
1450
पुलिस महकमे को समृद्ध बनाने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने पटना में सरदार पटेल भवन स्थित पुलिस मुख्यालय बिल्डिंग का निर्माण कराया है. इसके साथ ही बिहार के कई जिलों में थाना भवनों का निर्माण, पुराने वाहनों को हटाकर नए वाहनों की सौगात और पुलिस वाहनों में जीपीएस सिस्टम भी लगाया गया है. पुलिस मुख्यालय के एडीजी के अनुसार पुलिस का चेहरा लोगों के बीच बदल सके इसको लेकर समय-समय पर पुलिस को ट्रेनिंग दी जाती है. उन्होंने बताया कि कर्मचारियों को अच्छे भवन और अच्छा थाना मिलने से उनके इमेज में भी बदलाव आता है.
एडीजी मुख्यालय जितेंद्र कुमार
अपनी जमीन पर स्थापित नहीं हैं ज्यादातर थाने
गौरतलब है कि बिहार में अभी भी पुलिस कर्मियों को बुनियादी सेवा उपलब्ध नहीं है. राज्य में सैकड़ों की संख्या में ऐसे पुलिस थाने हैं. जिनके पास नहीं अपना जमीन और अपना भवन ही नहीं है. ऐसे में वो किराए और अधिग्रहण भवन में चल रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद भी बिहार पुलिस फोर्स में भारी कमी है. कई रिक्तियां खाली पड़ी हैं. राज्य में 15 हजार महिला सिपाही हैं. इनमें से भारी संख्या में सड़कों पर तैनात रहती हैं. जिनके लिए सरकार द्वारा शौचालय की व्यवस्था भी नहीं की गई है.
ईटीवी भारत की रिपोर्ट
पब्लिक-पुलिस के बीच समन्वय स्थापित करना है मकसद वहीं एडीजी मुख्यालय जितेंद्र कुमार के मुताबिक पुलिस मुख्यालय भवन निर्माण के पीछे सरकार का सभी पुलिस कार्यालयों को एक जगह इकट्ठा करना ही मुख्य मकसद था. बिहार के सभी जिलों में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में आधुनिक सुविधाओं से युक्त पुलिस थाना बनाए जा रहे हैं. यह सब बदलने के पीछे पुलिस मुख्यालय का मकसद सिर्फ पुलिस कार्य पद्धति को बदलना है. जिससे पब्लिक और पुलिस के बीच समन्वय स्थापित की जा सके.