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पटना: आदिवासी समाज के लोगों ने मनाया सोहराय पर्व, मंत्री आवास के अंदर बने मांझीथान में की पूजा

आदिवासी समाज के लोगों द्वारा सोहराय पर्व मनाया गया. यह पर्व आदिवासी समाज के लोगों का धरोहर माना जाता है. नए फसल होने पर अपने ईष्ट को धन्यवाद करते हुए लोग यह पर्व मनाते हैं.

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आदिवासी समाज ने मनाया सोहराय पर्व

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Published : Jan 4, 2021, 8:31 AM IST

Updated : Jan 16, 2021, 6:15 PM IST

बिहार: झारखंड बंटबारे के बाद बिहार में आदिवासी की आबादी काफी कम हो गयी है. राजधानी पटना में अभी भी आदिवासी समाज के लोग एक जगह इकट्ठा होकर सोहराय पर्व मनाते हैं. पटना के ईको पार्क के सामने मंत्री आवास के अंदर आदिवासी समाज का पूजास्थल है. जहां हर साल पटना में रहने वाले आदिवासी आकर सोहराय पर्व मनाते है.

भगवान शिव और पार्वती माता की होती है पूजा
नए साल के पहले रविवार के मौके पर बिहार सरकार के मंत्री बिजेंद्र यादव के आवास के अंदर अवस्थित मांझीथान में आकर आदिवासी समाज के लोगों ने पूजा की और सोहराय पर्व मनाया. इस मौके भगवान शिव और पार्वती माता की पूजा की जाती है. बड़ी संख्या की आदिवासी महिला भी यहां पूजा करने पहुंची थी.

'वर्ष 1986 में जब बिहार झारखंड एक राज्य था. उस समय शिबू सोरेन ने इस पूजा स्थल यानी मांझीथान की स्थापना की थी. तब से आज तक हमलोग यहां हरेक साल सोहराय पर्व मनाने को इकट्ठा होते हैं. इस मांझीथान मे बरामबुरु मांझी सहित सूर्य और अग्निदेवता का पिंड है, जिसकी पूजा की जाती है. मुख्यरूप से सोहराय पर्व प्रकृति की पूजा है जो नए साल के शुरू होने से शुरू होकर मकर संक्रांति तक चलता है'.- बुद्धिनाथ सोरेन, आदिवासी समाज

आदिवासी समाज ने मनाया सोहराय पर्व
'सोहराय पर्व को करने से लोगों में सुख समृद्धि आती है. नये साल में नया फसल होता है. मुख्य रूप से उसी को लेकर यह पर्व मनाया जाता है. अब आदिवासी समाज के कम लोग बिहार में रह रहे हैं. फिर भी पटना में जो हमारे समाज के लोग हैं वो सोहराय पर्व मनाने यहां जरूर आते हैं. मंत्री आवास के अंदर भी हमारे धार्मिक स्थल को रहने से कोई परेशानी नहीं होती है. हमलोग आराम से जब चाहें यहां आकर पूजा करते हैं. इसको लेकर हमें प्रशासन का साथ मिलता है'. शोभा सोरेन, आदिवासी महिला
Last Updated : Jan 16, 2021, 6:15 PM IST

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