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सरकार के ढुलमुल रवैये के कारण अधर में लटकी पटना को स्मार्ट बनाने की योजना - Navratna scheme not completed in Patna

स्मार्ट सिटी योजना में बिहार के चार शहरों को चयनित किया गया था, लेकिन चारों शहरों को स्मार्ट सिटी बनाने की योजना पैसे के अभाव में अब तक अधुरी पड़ी है.

स्मार्ट सिटी
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Published : Aug 19, 2020, 10:31 AM IST

पटनाःराजधानी का नाम स्मार्ट सिटी बनने वाले शहरों में शामिल किया गया था. तब ये माना जा रहा था कि अब पटना के दिन भी बहुरेंगे और शहर खूबसूरत बन जाएगा. इसको लेकर पटना नगर निगम ने पटना को सुंदर बनाने के लिए 9 बड़ी योजनाओं की शुरुआत भी की थी. लेकिन सरकार के ढुलमुल रवैये के कारण सालों बाद भी नगर निगम की शुरू की गई नवरत्न योजना अधर में लटकी हुई है.

2014 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार बनते ही देश भर में 25 जून 2015 को स्मार्ट सिटी योजना की शुरुआत की गई. इसका उद्देश्य था देश में सभी नागरिकों को मूलभूत सुविधाएं देना. ताकि लोग स्वच्छ और रोगमुक्त पर्यावरण में लोग अपनी जीवनशैली में सुधार ला सकें. स्मार्ट सिटी योजना में बिहार के चार शहरों को चयनित किया गया था, लेकिन चारों शहरों को स्मार्ट सिटी बनाने की योजना पैसे के अभाव में अब तक अधुरी पड़ी है.

अधुरा पड़ा सड़क निर्माण कार्य

पैसे के अभाव मे अधूरे पड़े हैं निगम के ये सभी काम

  • नालों पर सड़क निर्माण- पटना के मंदिरी और सैदपुर जैसे 9 बड़े नालों को ढंककर उस पर सड़क निर्माण की योजना थी, जिसपर अभी काम भी शुरू नहीं हो पाया है.
  • मॉड्यूलर टॉयलेट- 2 करोड़ की लागत से पटना में 200 से अधिक मॉड्यूलर टॉयलेट बनाए गए हैं, जिसमें या तो ताला लटका है या वो बदहाल स्थिति में हैं.
  • स्मार्ट डस्टबीन- लाखो रुपये खर्च करके पटना नगर निगम को स्मार्ट सिटी के तहत स्मार्ट डस्टबीन पूरे पटना में लगाना था, लेकिन ये काम भी पूरा नहीं हुआ, जिस इलाके में ये डस्टबीन लगे भी उसमें से अधिक खुद कचरा बने हैं.
  • वेस्ट मेनेजमेंट- कूड़ा निष्पादन के लिए वेस्ट मेनेजमेंट के लिए योजना तैयार की गई थी, जिस पर काम नहीं हो पाया है. अभी शहर के बीचों-बीच कचरा डम्प किया जा रहा है, जिससे आने जाने वाले लोगों को काफी परेशानी होती है.
  • मौर्या लोक का रेनोवेशन- 68 लाख रुपये की लगात से पटना के मौर्या लोक मार्केट कॉम्पलेक्स का सौंदर्यीकरण करना था, लेकिन ये काम भी पूरा नहीं हो पाया है, इसी में नगर निगम का मुख्य कार्यालय भी है.
  • कूड़ा गाड़ी में जीपीएस- करोड़ रुपये की लगात से कचरा गाड़ी खरीदी गई है जो शहर के कचरा संग्रहण का काम करेगी, सफ़ाई कर्मियों की मॉनिटरिंग के लिए कूड़ा गाड़ियों में जीपीएस लगाने के लिए कई बार टेंडर हो चुका है, लेकिन अब तक ये काम पूरा नहीं हुआ.
  • मैं आई हेल्प यू सेंटर- पटना वासियो को कोई परेशानी ना हो और उनका काम समय पर पूरा हो जाए उसके लिए नगर निगम ने शिकायतों के लिए मे आई हेल्प यू सेवा शुरू करने की योजना बनाई थी, इसके लिए लाखों रुपये की मशीन भी ख़रीदी गई लेकिन ये शुरू नहीं हो पाया.
  • ऑटो मैप सेवा- पटना में मकान का नक्शा पास कराने के लिए ऑटो मैप सेवा शुरू की गई थी, इसके तहत ये दावा किया गया था की 20 दिनों में नक्शा पास किया जाएगा, लेकिन ये सेवा शुरू होते ही बंद भी हो गई.
  • वेंडिंग ज़ोन-लगभग 14 करोड़ की लागत से रेहरी पटरी वालों के लिए पटना के बोरिंग केनाल रोड में वेंडिंग ज़ोन के साथ स्मार्ट पार्किंग का निर्माण किया जाना है, ये काम भी अधूरा है.
    बंद पड़े टॉयलेट

इन योजनाओं के अधर में लटकने की वजह को लेकर जब हमने निगम प्रशासन से संपर्क किया तो सशक्त स्थाई समिति के सदस्य इंद्रदीप चंद्रवंशी ने बताया कि निगम जो नवरत्न योजना लाया था. अगर वो समय पर पुरी हो जाती तो निश्चित ही पटना स्मार्ट सिटी हो गया होता. लेकिन सरकार के ढुलमुल रवैये के कारण सभी योजना अधर में ही फंसी हुई है.

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