पटना:बिहार में अप्रैल 2016 से पूर्ण शराब बंदी लागू है. शराबबंदी को मूर्त रूप देने के लिए सरकार ने कड़े कानून बनाए. साढ़े 4 साल के दौरान बिहार में कुल 259958 मामले दर्ज किए गए हैं. कुल मिलाकर 306310 गिरफ्तारियां भी हुईं. लेकिन जिस रफ्तार से केस दर्ज हुए या फिर गिरफ्तारियां हुईं उस रफ्तार से ना तो मामलों का निपटारा हुआ ना ही दोष सिद्धि हो पाया.
मामलों के निपटारे की धीमी रफ्तार
जहां तक केस डिस्पोजल का सवाल है अब तक कुल 461 मामलों का डिस्पोजल हुआ.
- साल 2016 में 5
- 2017 में 37
- 2018 में 102
- 2019 में 217
- 2020 में 82 मामलों का ही निपटारा हुआ
साढ़े 4 साल के दौरान कुल 560 लोगों को सजा सुनाई गई 2016 में 5, साल 2017 में 52, साल 2018 में 136, साल 2019 में 257 और साल 2020 में 110 लोगों को सजा सुनाई जा सकी.
'शराबबंदी कानून जब लागू हुआ तो उसके अनुसार कोर्ट की संख्या नहीं बढ़ी. मुकदमों का अंबार लगता चला गया. मामलों का अंबार लगता गया लेकिन उसका निपटारा नहीं किया जा रहा है. न्यायालय के पास इतने संसाधन नहीं हैं कि केसों का निपटारा समय पर हो सके. लोगों को न्याय मिलने में भी देरी हो रही है.'-
अरविंद कुमार, अधिवक्ता, पटना उच्च न्यायालय ये भी पढ़ें- अगले सप्ताह से मिलेगी कोविड-19 वैक्सीन : स्वास्थ्य मंत्रालय
'शराबबंदी कानून लाने से पहले सरकारी स्तर पर मंथन नहीं किया गया. पुलिस प्रशासन और न्याय व्यवस्था में क्या संसाधन बढ़ाए जाने चाहिए, इस पर सरकार ने गंभीरता नहीं दिखायी.हालात ऐसे हैं कि कई अनुमंडल में जेल भी नहीं है जिससे उनकी पेशी नहीं हो पाती है.'- दिनू कुमार, वरिष्ठ अधिवक्ता
'शराबबंदी सरकार की प्राथमिकता में शामिल है. धीरे-धीरे लोग कानून का पालन करेंगे. जहां तक सवाल पेंडिंग केस और लोगों को न्याय मिलने का है तो जो संसाधन की कमी है उसे पूरा करने की कोशिश हम लोग कर रहे हैं. जल्द ही समस्या का समाधान कर लिया जाएगा.'-रामसूरत राय, कानून मंत्री, बिहार
तैयारियों पर सवाल
फिलहाल मद्य निषेध कानून को लेकर जो इंतजाम है, वो नाकाफी बताये जा रहे हैं. मामलों की तादाद में न्यायालयों की संख्या कम है. हालांकि सीएम लगातार तमाम परेशानियों का हल भी निकाल रहे हैं, ताकि बिहार में शराबबंदी कानून का सख्ती से पालन हो सके.