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ट्रेनों का परिचालन शुरू होने के बावजूद नहीं सुधरी कुलियों की हालात, झेल रहे आर्थिक तंगी

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Published : Sep 18, 2020, 10:27 PM IST

कोरोना काल में कुलियों को इस बात का डर सता रहा है कि अगर रेलवे का निजीकरण होता है तो उन लोगों की जीविका पर संकट उत्पन्न हो जाएगा. स्टेशन पर काफी संख्या में ऐसे कुली हैं जो 15-20 वर्षों से कुली का ही कार्य कर रहे हैं.

पटना
पटना

पटना:कोरोना वैश्विक महामारी का असर सभी क्षेत्रों पर व्यापक रूप से देखने को मिल रहा है. लॉकडाउन में सबसे अधिक परेशानी रोज कमाने खाने वाले मजदूरों को झेलनी पड़ी है. स्टेशन पर दूसरों का सामान उठाकर अपना घर चलाने वाले मजदूर इनदिन आर्थिक तंगी झेलने को विवश हैं. उनके सामने भुखमरी की नौबत आन पड़ी है.

पटना जंक्शन पर 171 कुली बतौर दैनिक मजदूर कार्य करते हैं. कोरोना के कारण लॉकडाउन के शुरुआती दौर में जब यात्री ट्रेनों का परिचालन बंद हुआ तब इन कुलियों को दो वक्त की रोटी का इंतजाम करने में आफत आ गई थी. लेकिन ट्रेनों का परिचालन शुरू किए जाने के बाद भी तस्वीर कुछ खास नहीं बदली है. अब कुछ चुनिंदा ट्रेनों का परिचालन शुरू हुआ है. जिसके बाद जैसे-तैसे अब यह कुली जीवन यापन कर पा रहे हैं.

पटना जंक्शन

चल रही हैं कम ट्रेनें
जानकारी के मुताबिक पटना जंक्शन से अभी काफी कम ट्रेनें चल रही हैं. ऐसे में सभी कुलियों को प्रतिदिन भाड़ा भी नहीं मिल पा रहा है. कुली संजीव पासवान की मानें तो वह रोज कमाते हैं और रोज खाते हैं. जब लॉकडाउन शुरू हुआ था तब उन लोगों की जीविका पर गंभीर संकट उत्पन्न हो गया था. आय का साधन बंद हो गया था. उन्होंने बताया कि उस दौरान वह पटना जंक्शन के स्टेशन डायरेक्टर और सभी अधिकारियों से आर्थिक सहायता को लेकर मिले मगर कहीं से भी कोई सहायता नहीं मिल पाई थी.

यात्रियों का इंतजार करते कुली

कुलियों ने बताई आपबीती
तंगी झेल रहे कुलियों ने बताया कि लॉकडाउन के शुरुआती दिनों में जब आय के साधन बंद हो गए तो उन्हें कई वक्त भूखे रहना पड़ा. जब कुछ मीडिया कर्मियों से अपनी समस्या को लेकर संपर्क किए तो कुछ समाजसेवी उनके पास पहुंचे और समय-समय पर राशन पहुंचाया. उन्होंने बताया कि समाजसेवियों की ओर से मिले राशन से ही लॉकडाउन के दौरान उनका पेट चला. संजीव ने बताया कि अभी कुछ ट्रेनों का परिचालन शुरू हुआ है इससे उन्हें कुछ राहत जरूर मिली है.

कुलियों ने बताई आपबीती

नहीं हो रही कोई सुनवाई
अन्य कुली मिथिलेश पासवान ने बताया कि उनके हालात अभी भी ठीक नहीं हुए हैं. दो-चार गाड़ियां ही चल रही हैं. इस वजह से किसी को काम मिल पाता है तो किसी को नहीं मिल पाता है. उन्होंने बताया कि 1 किलो से 37 किलो तक के सामान ढोने के लिए वह 40 रुपये लेते हैं और प्रतिदिन एक कुली अधिकतम 100 रुपये तक कमा पा रहा है. उन्होंने बताया कि अभी वह इतना ही कमा पा रहे हैं कि अपना पेट भर सके. मिथिलेश ने बताया कि पटना जंक्शन पर 171 कुली हैं मगर कुलियों का कोई संगठन नहीं है, जो उनकी बातों को अधिकारियों तक प्रमुखता से पहुंचा सके.

देखें रिपोर्ट.

परिचालन शुरू होने के बावजूद नहीं सुधरे हालात
कुली तृप्त कुमार ने बताया कि कुछ ट्रेनों का परिचालन जरूर शुरू हुआ है, मगर कुलियों की हालात नहीं सुधरी. उन्होंने कहा कि लालू यादव के रेल मंत्री के कार्यकाल के दौरान उन्होंने कुलियों को ग्रुप डी में बहाल करने का नियम बनाया था और उस दौरान काफी कुलियों की ग्रुप डी में नियुक्ति भी हुई थी. मगर कुछ कुली बच गए थे. तृप्त ने कहा कि रेलवे में ग्रुप डी में लगभग एक लाख की वैकेंसी है और वह सरकार से चाहते हैं कि रेलवे स्टेशनों पर काफी कम संख्या में जो कुली बच गए हैं. उन्हें ग्रुप डी में बहाल कर दिया जाए ताकि वह अपना और अपने परिवार का भरण-पोषण कर सके. उन्होंने कहा कि अभी रेलवे के निजीकरण की बातें बहुत चल रही है और निजी करण से उन्हें उनकी जीविका को लेकर काफी डर लग रहा है.

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