पटना:बिहार दिवस(Bihar Diwas 2022) पर राजधानी पटना के गांधी मैदान में चल रहे कार्यक्रम का समापन गुरुवार देर शाम सुखविंदर सिंह के गानों से होगा. ऐसे में सुखविंदर सिंह अपने कार्यक्रम को लेकर एक (Singer Sukhwinder Singh Program on Bihar Diwas) दिन पहले ही पटना में पहुंच गए हैं. होटल मौर्या में सुखविंदर सिंह ने प्रेस वार्ता कि और इस दौरान उन्होंने सरकार के जल जीवन हरियाली योजना की ढेरों सराहना की. सुखविंदर सिंह ने कहा कि जल जीवन हरियाली जैसे पर्यावरण के ज्वलंत मुद्दों पर सरकार काम कर रही है. इस थीम पर बिहार दिवस सेलिब्रेट किया जा रहा है यह बताता है कि पर्यावरण संरक्षण के मुद्दे पर यहां की सरकार कितनी गंभीर है. देश और दुनिया में भी इस मुद्दे पर सभी लोग आने वाले दिनों में काम करेंगे.
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बदलती तकनीक के दौर में पार्श्व गायकी चुनौतीपूर्ण: फेमस सिंगरसुखविंदर सिंह ने कहा कि तकनीक बदलते हैं और नए-नए इक्विपमेंट्स आते हैं लेकिन जो अंतर मन की भावनाएं होती हैं वही रहती हैं. तकनीक में कितने भी परिवर्तन हो जाए लेकिन भावनाओं में परिवर्तन नहीं होता. उन्होंने कहा कि जो खुद दीवाना नहीं होता वह दूसरों को दीवाना नहीं कर सकता और कई ऐसे कलाकार मिल जाएंगे जो मंच पर उछलते कूदते हैं, यह पागलपन हो सकता है दीवानगी नहीं. यदि किसी कलाकार के अंदर दीवानगी है तो उसके सामने कोई इंस्ट्रूमेंट नहीं भी हो तो उसके सामने जो मिल जाएगा उस पर वह परफॉर्म कर लेंगे. सुखविंदर सिंह ने डॉ बशीर बद्र का एक शेर पढ़ा 'पत्थर के जिगर वालों गम में वो रवानी है खुद राह बना लेगा बहता हुआ पानी है'. सुखविंदर सिंह ने कहा कि पिछले 10 वर्षों से कला क्षेत्र में अल्फाज बेहूदा होते जा रहे हैं, अल्फाज गाली गलौज तक आ गए हैं. लेकिन आज भी गुलजार साहब, जावेद अख्तर, समीर जैसे लोग जिंदा है और भी कुछ लोग आए हैं और वह उन्हीं लोगों के साथ जुड़े रहते हैं जिनमें मनोरंजन भी हो, कमर्शियल लोगों को छू जाने वाली बात भी लिखें और डिग्निटी भी बनी रहे और खूब तमाशा भी हो लेकिन मर्यादा के साथ.
बिहार दिवस पर सुखविंदर सिंह का कार्यक्रम:बिहार पहुंचने पर सुखविंदर सिंह ने कहा कि बिहार शब्द हिंदी के शब्दकोश विहार से बना है जिसका मतलब ही होता है सैरगाह. बीते दिनों जब वह राजगृह गए थे तब उन्हें पता चला कि इसे सैरगाह का नाम क्यों दिया गया है. वहां चारों तरफ पहाड़ों को देखा जिसके बाद उन्हें एहसास हुआ कि अभी तक सिर्फ श्रीनगर, कश्मीर, शिमला और दार्जिलिंग के पहाड़ों के बारे में ही लोग लिखते हैं इसके पहाड़ों के बारे में कोई लिखता ही नहीं. राजगीर को देखने के बाद लगता है कि भगवान ने इसे अपने हाथों से फुर्सत में बनाया है सवांरा है. बिहार में विश्व की सबसे पहली नालंदा यूनिवर्सिटी रही है. बिहार के लोगों का जो नेचर है जो इंसानी फितरत है वह जुल्म के खिलाफ का आक्रोश जो है वह बड़ा ही जबरदस्त है. वैसे बिहारी चौबीसों घंटे अपने मूड में होते और अपने अंदाज में रहते हैं. जरा भी कहीं भी इंफरिटी कॉन्प्लेक्स नहीं फील करते हैं. अपने जीवन को अपने अंदाज में जीते हैं. बिहार में ही गुरु तेग बहादुर ने जन्म लिया था. बिहार में ही गुरु गोविंद सिंह ने जन्म लिया था जिन्होंने जुर्म के खिलाफ अपना सर्वस्व न्योछावर किया. अपने पूरे खानदान और सहयोगी के साथ जुल्म की खिलाफत की.