पटना:एक वक्त था जब बिहार राज्य पथ परिवहन निगम (Bihar State Road Transport Corporation) अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा था. बसोंकी हालत ऐसी थी कि लोग उसमें चढ़ना नहीं चाहते थे. यात्रियों की तो बात छोड़िए उसके अपने कर्मचारी भी निगम से असंतुष्ट थे. तब बिहार सरकार की रिहैबिलिटेशन पॉलिसी (Rehabilitation Policy) ने निगम के लिए संजीवनी का काम किया, और देखते ही देखते परिवहन निगम के अच्छे दिन लौट आए.
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बढ़ीं बसों की संख्या
वित्तीय स्थिति सुधारने के साथ-साथ निगम की बसों की संख्या बढ़ाई गई है. नई बसें खरीदी गई हैं, जिनमें एसी, डीलक्स और तमाम अन्य बसें भी शामिल हैं. साढ़े तीन सौ से ज्यादा बसें बिहार राज्य पथ परिवहन निगम की अभी सड़क पर चल रही है. इनमें से 120 से ज्यादा बसें पटना में चल रही हैं. हाल में 30 नई बसें पटना से विभिन्न शहरों के लिए शुरू की गई हैं. डीजल बसों के अलावा 25 इलेक्ट्रिक बसें (Electric buses) पथ परिवहन निगम ने खरीदी हैं, जबकि 50 नई सीएनजी बसें (compressed natural gas buses) भी बहुत जल्द पथ परिवहन निगम के बेड़े में शामिल होने वाली है. जिन्हें पटना समेत कुछ अन्य शहरों में चलाया जाएगा.
ऐतिहासिक सुल्तान पैलेस में स्थित है परिवहन भवन 'पथ परिवहन निगम के खराब दौर से निकालने में बिहार सरकार की रिहैबिलिटेशन पॉलिसी ने काफी मदद की है. जिसके कारण पुराने कर्मचारियों के तमाम देय सुविधाएं उन्हें भुगतान की गई. निगम को फिर से अच्छी स्थिति में लाने के लिए तमाम प्रयास किए गए हैं.'- संजय कुमार अग्रवाल, सचिव, बिहार राज्य पथ परिवहन निगम
संजय कुमार अग्रवाल, सचिव, बिहार राज्य पथ परिवहन निगम भाड़े में नहीं की गई बढ़ोत्तरी
एक तरफ पेट्रोल और डीजल की कीमतें आसमान छू रही हैं. बिहार के तमाम निजी बस ऑपरेटर्स ने 15 मार्च से बस भाड़े में 20% की वृद्धि भी कर दी, लेकिन बिहार की परिवहन व्यवस्था की रीढ़, बिहार राज्य पथ परिवहन निगम ने डीजल और मेंटेनेंस कॉस्ट में बढ़ोतरी के बावजूद भाड़े में बढ़ोतरी नहीं की है.
बदहाली और कंगाली के दौर से उबरा निगम
साल 1959 में अस्तित्व में आया बिहार राज्य पथ परिवहन निगम लंबे समय तक बदहाली और कंगाली के दौर से गुजरा. निगम की खटारा बसों में कोई यात्रा करना नहीं चाहता था. निगम में काम करने वाले कर्मचारी कई बार बिना रिटायरमेंट बेनिफिट प्राप्त किए दुनिया को अलविदा कह देते थे. वेतन और अन्य सुविधाओं के लिए आए दिन धरना प्रदर्शन होता था. इतना ही नहीं कर्मचारियों को कोर्ट की शरण में भी जाना पड़ता था. लेकिन पिछले कुछ समय से बिहार राज्य पथ परिवहन निगम में बड़ा बदलाव देखने को मिला है.
25 इलेक्ट्रिक बसें पथ परिवहन निगम ने खरीदी हैं बीएसआरटीसी की साढ़े तीन सौ से ज्यादा बसें चल रही हैं 'वित्तीय स्थिति सुधारने के साथ-साथ निगम की बसों की संख्या बढ़ाई गई है. नई बसें खरीदी गई हैं. पथ परिवहन निगम की बसों का किराया 2 साल पहले बढ़ाया गया था. एक बार फिर डीजल की बढ़ती कीमत और मेंटेनेंस कॉस्ट में बढ़ोतरी को देखते हुए इस पर विचार चल रहा है. राज्य परिवहन आयुक्त की अध्यक्षता में एक कमेटी भाड़ा रिवाइज करने को लेकर मंथन कर रही है जिस पर आने वाले समय में फैसला लिया जाएगा.'- संजय कुमार अग्रवाल, सचिव, बिहार राज्य पथ परिवहन निगम
रिहैबिलिटेशन पॉलिसी बनी संजीवनी
बिहार के ऐतिहासिक सुल्तान पैलेस में स्थित परिवहन भवन में बिहार राज्य पथ परिवहन निगम का कार्यालय है. इस कार्यालय में काम करने वाले कर्मचारी कैमरे के सामने कुछ भी बोलने से इनकार करते हैं क्योंकि उन्हें इसकी इजाजत नहीं है. लेकिन इतना जरुर कहते हैं कि पहले वाली स्थिति नहीं रही. अब समय पर वेतन मिलता है और जो कर्मचारी रिटायर होते हैं उन्हें समय पर रिटायरमेंट बेनिफिट भी मिल जाता है.
जल्द सड़कों पर दौड़ेंगी नई सीएनजी बसें
साढ़े तीन सौ से ज्यादा बसें बिहार राज्य पथ परिवहन निगम की अभी सड़क पर चल रही है. इनमें से 120 से ज्यादा बसें पटना में चल रही हैं. हाल में 30 नई बसें पटना से विभिन्न शहरों के लिए शुरू की गई है. डीजल बसों के अलावा 25 इलेक्ट्रिक बसें पथ परिवहन निगम ने खरीदी हैं जबकि 50 नई सीएनजी बसें भी बहुत जल्द पथ परिवहन निगम के बेड़े में शामिल होने वाली है. जिन्हें पटना समेत कुछ अन्य शहरों में चलाया जाएगा. इससे ना सिर्फ प्रदूषण का स्तर कम होगा बल्कि निगम पर वित्तीय बोझ कम होगा क्योंकि डीजल की बजाय सीएनजी बसें ज्यादा कॉस्ट इफेक्टिव हैं.
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