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सावन मास की 'पुत्रदा एकादशी व्रत' है फलदायी, जानें मुहूर्त और पूजन विधि - Putrada Ekadashi Vrat of Sawan

पुत्रदा एकादशी व्रत संतान प्राप्ति के लिए फलदायी है. इस दिन व्रती विधि विधान के साथ भगवान विष्णु की पूजा करते हैं तो उन्हें मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. सावन की पुत्रदा एकादशी खास है. पढ़कर जानें पूजन विधि और महत्व-

सावन मास की 'पुत्रदा एकादशी व्रत'
सावन मास की 'पुत्रदा एकादशी व्रत'

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Published : Aug 18, 2021, 5:03 AM IST

पटना:श्रावण मास भगवान शिव की आराधना का मास है.भगवान शिव (Lord Shiva) संतान, सुख, संपदा समेत सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करने वाले हैं. उनके इस प्रिय मास में पुत्र प्राप्ति के लिए विशेष व्रत पुत्रदा एकादशी (Putrada Ekadashi Vrat) पड़ती है, जिसमें भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की आराधना की जाती है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार उनकी कृपा से व्रत करने वालों को पुत्र की प्राप्ति होती है. पंचांग के अनुसार इस वर्ष श्रावण पुत्रदा एकादशी 18 अगस्त दिन बुधवार को है.

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पुत्रदा एकादशी व्रत का मुहूर्त 2021

पंचांग के अनुसार एकादशी तिथि का प्रारंभ दिन बुधवार को तड़के 03 बजकर 20 मिनट से हो चुका है. इसका समापन उसी दिन देर रात 1 बजकर 05 मिनट पर होगा. श्रावण शुक्ल एकादशी का व्रत 18 अगस्त को प्रात: से रखा जाएगा

देखें रिपोर्ट.

पुत्रदा एकादशी व्रत का पारण मुहूर्त

श्रावण पुत्रदा एकादशी व्रत का पारण अगले दिन द्वादशी को किया जाएगा. द्वादशी के प्रात: 6 बजकर 32 मिनट से प्रात: 8 बजकर 29 मिनट के बीच पारण कर लेना चाहिए.

श्रावण पुत्रदा एकादशी का महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार निःसंतान दंपति को श्रावण पुत्रदा एकादशी का व्रत रखना चाहिए और भगवान विष्णु का विधिपूर्वक पूजन करना चाहिए. भगवान विष्णु की कृपा और इस व्रत के पुण्य से उस दंपत्ति को सुयोग्य पुत्र की प्राप्ति होती है. इस दिन पूजा के समय श्रावण पुत्रदा एकादशी व्रत का पाठ भी सुनना चाहिए. इससे व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है. इस व्रत को करने से मृत्यु के पश्चात व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है.

श्रावण पुत्रदा एकादशी व्रत करने की विधि

सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं. घर के मंदिर में दीप प्रज्ज्वलित करें. भगवान विष्णु का गंगाजल से अभिषेक करें. भगवान विष्णु को तुलसी दल अर्पित करें. भगवान को भोग में फल, फूल, मिष्ठान, पान, सुपाड़ी, नारियल चढ़ाएं. इस पावन दिन में भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी का भी पूजन करें. पारण से पहले ब्राह्मण को भोजन कराएं व उपहार में वस्त्र, द्रव्य इत्यादि देकर आशीर्वाद लें.

आचार्य कमल दुबे

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