नई दिल्ली/ पटना: जम्मू-कश्मीर में धारा 370 हटने और उसका बंटवारा करने को लेकर बिहार सरकार के उद्योग मंत्री सह जेडीयू के वरिष्ठ नेता श्याम रजक ने कहा कि ये लोकतंत्र के लिए काला अध्याय है. संविधान पर काले धब्बे की तरह है.
सोमवार की सुबह केंद्रीय मंत्रियों की बैठक के बाद राज्यसभा में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने आर्टिकल-370 और 35 A खत्म करने के लिए सिफारिश की. इसके बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इस पर मंजूरी दे दी. वहीं, मंजूरी मिलते ही जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा छिन गया. इस बाबत कई निर्णय लेते हुए जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित राज्य बना दिया गया. वहीं, लद्दाख को जम्मू से अलग कर दिया गया.
'संविधान से खिलवाड़'
इस फैसले पर जेडीयू नेता श्याम रजक ने कहा कि धारा-370 को हटाने के फैसले से पहले सभी दलों से बातचीत करनी चाहिए थी. सबको विश्वास में लेना चाहिए था. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. 370 हटाने का फैसला संविधान के साथ खिलवाड़ है. आज का दिन लोकतंत्र के लिए काला अध्याय है.
'संसद में होगा विरोध'
श्याम रजक ने कहा कि जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित राज्य बना दिया गया. लद्दाख भी केंद्र शासित राज्य बना. इससे हम लोगों को आपत्ति नहीं. लेकिन धारा 370 से छेड़छाड़ की गई है. इसे हम बर्दाश्त नहीं कर सकते. जदयू की ओर से संसद में इसका विरोध होगा. बिहार में जेडीयू-बीजेपी का गठबंधन चलता रहेगा. इन मुद्दों का बिहार से कोई लेना-देना नहीं है.
क्या है आर्टिकल 35 A?
⦁ संविधान में जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा
⦁ 1954 के राष्ट्रपति के आदेश से ये संविधान में जोड़ा गया
⦁ इसके तहत राज्य के स्थायी निवासियों की अलग पहचान
⦁ जम्मू-कश्मीर में बाहरी लोग संपत्ति नहीं खरीद सकते
⦁ बाहरी लोग राज्य सरकार की नौकरी नहीं कर सकते
आर्टिकल 35 A से जुड़ी जरूरी बातें :
⦁ अनुच्छेद 35-ए संविधान का वह अनुच्छेद है जो जम्मू-कश्मीर विधानसभा को लेकर प्रावधान करता है कि वह राज्य में स्थायी निवासियों को पारिभाषित कर सके.
⦁ साल 1954 में 14 मई को राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने एक आदेश पारित किया था. इस आदेश के जरिए संविधान में एक नया अनुच्छेद 35 A जोड़ दिया गया. अनुच्छेद- 370 के तहत यह अधिकार दिया गया है.
⦁ साल 1956 में जम्मू-कश्मीर का संविधान बना जिसमें स्थायी नागरिकता को परिभाषित किया गया.
⦁ जम्मू-कश्मीर के संविधान के मुताबिक, स्थायी नागरिक वह व्यक्ति है जो 14 मई 1954 को राज्य का नागरिक रहा हो या फिर उससे पहले के 10 सालों से राज्य में रह रहा हो और उसने वहां संपत्ति हासिल की हो.
आर्टिकल 35A के विरोध में दलील
⦁ यहां बसे कुछ लोगों को कोई अधिकार नहीं
⦁ 1947 में जम्मू में बसे हिंदू परिवार अब तक शरणार्थी
⦁ ये शरणार्थी सरकारी नौकरी हासिल नहीं कर सकते
⦁ सरकारी शिक्षण संस्थान में दाखिला नहीं
⦁ निकाय, पंचायत चुनाव में वोटिंग राइट नहीं
⦁ संसद के द्वारा नहीं, राष्ट्रपति के आदेश से जोड़ा गया आर्टिकल