पटना: नीतीश कुमार के खासमखास और सरकार में मंत्री श्रवण कुमार को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गयी है. श्रवण कुमार को झारखंड का जदयू प्रदेश प्रभारी (Jharkhand JDU State In Charge Shravan Kumar) बनाया गया है. दरअसल सीएम नीतीश की नजर छोटे राज्यों पर है, क्योंकि पार्टी पिछले तीन दशकों में भी राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त नहीं कर सकी है. पड़ोसी राज्य झारखंड में भी पार्टी की उपस्थिति तक नहीं है लेकिन अब झारखंड को लेकर जदयू ने अपनी रणनीति तैयार की है.
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श्रवण कुमार को झारखंड की कमान:नीतीश कुमार ने अपने सबसे विश्वसनीय नेताओं में से एक श्रवण कुमार को एक बार फिर से झारखंड की कमान सौंपी है. इससे पहले भी श्रवण कुमार को झारखंड की कमान दी जा चुकी है. झारखंड में कुल 81 विधानसभा के सीट हैं. फिलहाल जेएमएम के 30, कांग्रेस के 16, आरजेडी के एक, बीजेपी के 25 सीट हैं लेकिन जदयू का एक भी विधायक नहीं है. श्रवण कुमार को झारखंड का प्रभारी बनाने के पीछे नीतीश कुमार की नई रणनीति है.
बोले श्रवण कुमार- 'शून्य से करना होगा शुरू': 10 साल पहले भी श्रवण कुमार झारखंड के प्रभारी थे. श्रवण कुमार के अनुसार झारखंड में संगठन शून्य हो गया है तो हमें शून्य से शुरू करना पड़ेगा. वहां शुरुआती दिनों में हमारे 6-7 मिनिस्टर हुआ करते थे. झारखंड में पार्टी के लिए बहुत संभावना है और हम पूरी कोशिश करेंगे कि पार्टी झारखंड में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराएं.
'झारखंड में जदयू को किया जाएगा मजबूत':श्रवण कुमार ने खास बातचीत में कहा कि पार्टी की रणनीति है, झारखंड में संगठन का फैलाव करना, संगठन को आगे बढ़ाना. जब संगठन मजबूत होगा तभी हम कोई चुनाव लड़ सकेंगे. जब संगठन ही नहीं रहेगा, तो चुनाव कैसे लड़ेंगे? श्रवण कुमार ने कहा कि सबसे पहले पार्टी का सदस्यता अभियान शुरू करेंगे. राज्य स्तर से लेकर जिला स्तर और प्रखंड स्तर तक समीक्षा करेंगे. समीक्षा के बाद संगठन में क्या कुछ कमी है और क्या कुछ करने की जरूरत है उस हिसाब से रणनीति तैयार करेंगे.
"झारखंड में अभी त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव हो रहा है. 2 जून तक चुनाव संपन्न हो जाएगा तो उसके बाद झारखंड में कैंप करेंगे. जदयू के लोगों से वहां बातचीत करेंगे और परामर्श के बाद ही संगठन को धारदार बनाने पर काम शुरू करेंगे. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह की इच्छा है कि झारखंड में जदयू मजबूत हो क्योंकि झारखंड बिहार से ही अलग हुआ है बहुत ज्यादा अंतर बिहार और झारखंड में नहीं है लेकिन बिहार कहां था और कहां पहुंच गया. झारखंड को कहां रहना चाहिए और कहां है, इसकी चिंता हमारे नेता को है."- श्रवण कुमार, जदयू प्रदेश प्रभारी, झारखंड
'झारखंड में जदयू हुआ कमजोर': उन्होंने कहा कि हम शराबबंदी पर वहां काम करेंगे, दहेज प्रथा, बाल विवाह जैसे मुद्दे भी हमारे प्रमुख एजेंडों में है. न्याय के साथ झारखंड का भी विकास हो इस पर हम लोग काम करेंगे. हमारे अभियान से लोगों में आकर्षण बढ़ेगा. संगठन से लोग जुड़ेंगे इसका फल आने वाले चुनाव में वहां की जनता हमको देगी इसकी उम्मीद है. पहले भी झारखंड के हम प्रभारी रहे हैं लेकिन बाद के दिनों में झारखंड में जितना काम होना चाहिए पार्टी का काम नहीं हुआ और अब मुख्यमंत्री की इच्छा है कि झारखंड में संगठन मजबूत हो.झारखंड में जदयू को शून्य से शिखर तक पहुंचाने के लिए काम करना पड़ेगा. तभी 2024 के चुनाव में पार्टी को लाभ होगा.
जदयू की 2024 की तैयारी: श्रवण कुमार ने कहा कि शुरुआती दिनों में हमारे 6-7 मिनिस्टर तक सरकार में वहां (झारखंड) रहे हैं. सरकार में कई महत्वपूर्ण विभाग शिक्षा , स्वास्थ्य, सिंचाई हमारे पार्टी के नेता के हाथ में ही हुआ करता था. लेकिन संगठन में कहीं ना कहीं कुछ कमी हुई इसके कारण हम लोग कमजोर हुए हैं और बिना संगठन के मजबूत हुए न तो विधायक बना सकते हैं ना सांसद और ना ही कोई छोटा प्रतिनिधि भी. जदयू के लिए झारखंड में प्रबल संभावना है. झारखंड बिहार का सटा हुआ इलाका है.
राष्ट्रीय पार्टी बनाने में झारखंड हो सकता है मददगार!:झारखंड में किसी के साथ तालमेल भी हो सकता है इस सवाल पर श्रवण कुमार ने कहा कि जब संगठन मजबूत रहेगा हमारी क्षमता को देखकर ही कोई भी हम से समझौता करेगा. हमारे साथ चुनाव लड़ेगा तो राजनीति संभावनाओं का खेल है और जब हम मजबूत होंगे तभी हम से कोई समझौता करेगा. झारखंड राष्ट्रीय पार्टी बनाने में क्या मददगार हो सकता है इस पर श्रवण कुमार का कहना है कि जब से राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह बने हैं तब से उनकी कोशिश है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी चाहते हैं कि पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिले और इसलिए जहां चुनाव है वहां भी और जहां चुनाव नहीं है वहां भी संगठन को मजबूत करने पर जोर दिया जा रहा है.
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