पटना:मुजफ्फरपुर के बोचहां विधानसभा सीट (bochaha assembly seat) के लिए बीते मंगलवार को उपचुनाव हुआ था और अब नतीजे भी सबके सामने है. उपचुनाव में जहां भाजपा को बड़ा झटका लगा है. वहीं राजद एनडीए से सीट छीनने में कामयाब रही है. भाजपा और राजद प्रत्याशियों के बीच जो मतों का अंतर है वह भी बहुत ज्यादा है. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को छोटे दलों ने उलझा दिया है. चुनाव के नतीजों के बाद नए सिरे से गठबंधन की सियासत को धार देने पर मंथन शुरू हो गया है.
पढ़ें- Live Update: बोचहां में RJD उम्मीदवार को अजेय बढ़त.. 20वें राउंड की गिनती में 29771 मतों से आगे
एनडीए को झटका: बोचाहां विधानसभा सीट को लेकर एनडीए में बवंडर खड़ा हुआ और अब नतीजे भी सामने आ गए. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में कलह की वजह से सीट राजद के खेमे में चली गई. बड़े मतों के अंतर से एनडीए को हार का सामना करना पड़ा है. दरअसल भाजपा और वीआईपी बोचहां सीट को लेकर उलझ गई. जिद में मुकेश सहनी को जहां मंत्री पद गंवाना पड़ा, वहीं एनडीए को सीटिंग सीट से हाथ धोना पड़ा. 2024 लोकसभा चुनाव से पहले बोचहां उपचुनाव के नतीजे राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के नेताओं के लिए खतरे की घंटी है. बड़े मतों के अंतर से मिली शिकस्त ने भाजपा नेताओं के चेहरे पर शिकन ला दी है.
बोचहां में आरजेडी ने लहराया परचम: उपचुनाव में सत्ताधारी बीजेपी और विपक्षी पार्टी आरजेडी के बीच सीधा मुकाबला था. वीआईपी पार्टी मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने में जुटी थी. लेकिन बोचहां की जनता ने मुसाफिर पासवान के पुत्र और राजद उम्मीदवार अमर पासवान को विधायक चुना. उपचुनाव में दो छोटे दलों ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के शीर्ष नेताओं को मुश्किल में डाल दिया. जदयू के चलते जहां चिराग पासवान को एनडीए छोड़ना पड़ा वहीं भाजपा के चलते मुकेश सहनी को एनडीए छोड़ना पड़ा. उपचुनाव में दोनों दलों ने पैंतरा बदला और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को सीट गंवानी पड़ी.
उपचुनाव में बड़े मतों के अंतर से हार के बाद भाजपा की रणनीति पर भी सवाल उठने लाजमी है. भूमिहार बहुल बोचहां विधानसभा सीट पर ऐसी हार की उम्मीद कम से कम भाजपा नेताओं को नहीं थी.
आइए जानते हैं वह कौन कौन से कारण थे जिसके वजह से भाजपा को बोचहां में हार मिली...
- पूर्व मंत्री और कद्दावर नेता सुरेश शर्मा को पार्टी मना नहीं सकी.
- बिहार सरकार के स्थानीय मंत्री के रवैए से नाराज थे जाति विशेष के नेता.
- भाजपा के स्थानीय नेता कई गुटों में बटे.
- मुकेश सहनी के अलग लड़ने से भाजपा को हुआ नुकसान.
- चिराग पासवान का समर्थन नहीं हासिल कर सकी भाजपा.
- पासवान वोटरों ने जाति के आधार पर किया मतदान
- पूर्व मंत्री सुरेश शर्मा, अमर पांडे और अजीत सिंह ने की भाजपा विरोध की सियासत.
- भाजपा में पिछड़ी राजनीति से अगड़ी जाति के नेताओं में नाराजगी.
- जदयू ने नहीं झोंकी पूरी ताकत.