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Sheetla Ashtami 2023: शीतला अष्ठमी आज, बासी भोजन करने और पूजा का विशेष महत्व ..जानिए कब है शुभ मुहूर्त - शीतला अष्ठमी 2023

शीतला अष्टमी की पूजा का खास महत्व (Special importance of Sheetla Ashtami) है. हर साल चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को शीतला अष्टमी मनाया जाता है. आज बुधवार को हर जगह शीतला अष्टमी की पूजा की जा रही है. पढ़ें पूरी खबर..

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Published : Mar 14, 2023, 11:55 PM IST

पटनाःआज 15 मार्च बुधवार को विशेष महत्व है. हिंदुत्व के लिए शीतला अष्टमी (Sheetla Ashtami Puja today) का पर्व बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है. शीतला अष्टमी चैत में कृष्ण पक्ष की अष्टमी को होती है. आज बड़ी ही धूमधाम से शीतला अष्टमी मनाई जा रही है. शास्त्रों के अनुसार शीतला अष्टमी के साथ मां शीतला को बासी भोजन का भोग लगाने का रिवाज है, जो सप्तमी तिथि को बनाया जाता है और भोग लगाकर शीतला अष्टमी के दिन परिवार के सभी सदस्य बासी पकवान खाते हैं.

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दोपहर 12.50 तक रहेगा शुभ मुहूर्त:शीतला अष्टमी का शुभ मुहूर्त सुबह से लेकर दोपहर 12:50 तक रहेगा, आचार्य मनोज मिश्रा का कहना है कि स्कंदपुराण में ब्रह्माजी ने सृष्टि को रोगों से मुक्त और स्वच्छ रखने की जिम्मेदारी माता शीतला को सौंपी थी. इसलिए स्वच्छता की देवी के नाम से भी माता शीतला की पूजा की जाती है. जिसे शीतला अष्टमी भी लोग कहते हैं. शीतला अष्टमी के दिन उपवास रखने का भी लाभ है. उन्होंने कहा कि शीतला अष्टमी के दिन सबसे पहले पानी में गंगा जल मिलाकर स्नान कर मां शीतला की विधिवत पूजा करने से घर परिवार में सुख शांति समृद्धि की प्राप्ति होती है और रोग दोष से छुटकारा मिलता है.

शीतला अष्टमी को नहीं जलता चूल्हाः मनोज मिश्रा ने बताया कि जिस तरह से नवरात्र में माता के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है, जितनी नवरात्रि को महत्व दिया जाता है. ठीक उसी प्रकार शीतला अष्टमी का भी महत्व है. घर के सभी सदस्य और खास करके महिलाएं किचन से लेकर अपने बर्तन साफ सुथरे करके सच्चे मन से मां शीतला के लिए पकवान तैयार करती हैं. शीतला सप्तमी के दिन पकवान तैयार करके रख लिया जाता है और अष्टमी के दिन घर के सभी सदस्य लोग स्नान करके माता के चित्र या प्रतिमा के आगे विधिवत पूजा अर्चना कर पिछला माता को भोग लगाते हैं और भोग लगाने के साथ बासी भोजन करते हैं. दिन भर घर का चूल्हा महिला नहीं जोड़ती है. यानी दिनभर किचन को उपवास रखा जाता है.

"स्कंदपुराण में ब्रह्माजी ने सृष्टि को रोगमुक्त और स्वच्छ रखने का कार्य माता शीतला को सौंपा था. इसलिए स्वच्छता की देवी के नाम से भी माता शीतला की पूजा की जाती है. शीतला अष्टमी के साथ काला अष्टमी के रूप में भी मनाया जाता है. बहुत सारे लोग शीतला अष्टमी को विशेष रूप से मनाते हैं और शीतला माता से मंगल कामना करते हैं" -मनोज मिश्रा, आचार्य

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