पटना: 'या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:' के मंत्र उच्चारण के साथ शनिवार से शारदीय नवरात्र (Sharadiya Navratri) प्रारंभ हो गया है. नवरात्र के पहले दिन यानी आश्विन शुक्ल प्रतिपदा तिथि को घट स्थापना किया जाता है, कुछ लोग इसे कलश स्थापना (kalash Sthapana In Navratri) भी कहते हैं. कलश स्थापना की जो परंपरा है वो सदियों से चली आ रही है. ऐसी मान्यता है कि कलश स्थापना ले सभी तीर्थ और देवी देवताओं का वास होता है. इसलिए माता की पूजा अर्चना के लिए कलश की स्थापना की जाती है.
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इस बार नवरात्रि के दिन चित्रा नक्षत्र रात 9 बजकर 13 मिनट तक और वैधृति योग रात 1 बजकर 39 मिनट तक रहेगा. इस कारण शारदीय नवरात्र में घट स्थापना का समय दोपहर 11 बजकर 52 मिनट से 12 बजकर 38 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त में ही सर्वश्रेष्ठ रहेगा. ऐसे में दुर्गा पूजा के पहले दिन वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ विभिन्न मंदिरों में पूजा-अर्चना प्रारंभ हो गया. भक्त कलश स्थापन करने के साथ ही माता की पूजा आराधना करके दीप आरती करते हैं. कलश स्थापना के साथ ही दुर्गा सप्तशती का पाठ शुरू हो जाता है.
आचार्य रामा शंकर दुबे ने बताया कि प्रथम दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है. जो भी भक्त मां शैलपुत्री का पूजन करते हैं और सप्तशती का पाठ करते हैं उनको धन और भाग्य की प्राप्ति होती है.
आचार्य ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान पिछले साल धूमधाम से माता की पूजा नहीं हो पायी थी. लोगों ने अपने-अपने घरों में पूजा-पाठ किया थी. पूजा भक्ति में किसी प्रकार की कोई रोक नहीं होती है. श्रद्धा ,भक्ति और भाव से अपने घर में भी पूजा पाठ किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि इस बार भी कोरोना को लेकर सरकार के द्वारा जो भी दिशा निर्देश दिया गया है. उसका पालन करते हुए लोग मंदिरों में पहुंचे.
नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना और उसका पूजन किया जाता है. इसके बाद मां शैलपुत्री का पूजन किया जाता है. माता शैलपुत्री देवी पार्वती का ही एक रूप हैं, जो नंदी पर सवार, श्वेत वस्त्र धारण करती हैं. उनके एक हाथ में त्रिशुल और एक हाथ में कमल विराजमान रहता है. मां शैलपुत्री को धूप, दीप, फल, फूल, माला, रोली, अक्षत चढ़ाकर पूजन करना चाहिए. मां शैलपुत्री को सफेद रंग प्रिय है, इसलिए उनको पूजन में सफेद फूल और मिठाई अर्पित करना चाहिए. इसके बाद भोग में केले का फल मिठाई पंचामृत तरह-तरह के भक्तों श्रद्धा के अनुसार माता को भोग लगाते हैं. इसके बाद मां शैलपुत्री के मंत्रों का जाप कर, पूजन का अंत मां शैलपुत्री की आरती गा कर करना चाहिए.
नवरात्रि की पूजा विधि
सबसे पहले घर में मां शैलपुत्री की तस्वीर स्थापित करें और उसके नीचे लकड़ी की चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं. इसके ऊपर केसर से 'शं' लिखें और उसके ऊपर मनोकामना पूर्ति गुटिका रखें. तत्पश्चात हाथ में लाल पुष्प लेकर शैलपुत्री देवी का ध्यान करें, और इस मंत्र का जाप करें.
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे ॐ शैलपुत्री देव्यै नम: