पटना: पूरी दुनिया में आज वर्ल्ड हेपेटाइटिस डे(World Hepatitis Day 2021) मनाया जा रहा है. इस दिन को मनाने का मकसद लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरुक करना है. ईटीवी भारत (ETV Bharat) आपको बता रहा है कि कैसे इस बीमारी की पहचान करें और क्या-क्या सावधानी (Hepatitis Diagnosis) बरतें.
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हेपेटाइटिस के बारे में जानकारी देते हुए पटना के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ दिवाकर तेजस्वी ने बताया कि दुनिया भर में हेपेटाइटिस के मरीजों की संख्या काफी तेजी से बढ़ रही है. इसी को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) ने प्रत्येक साल 28 जुलाई को हेपेटाइटिस से जागरूकता के लिए विश्व हेपेटाइटिस डे मनाने का निर्णय लिया.
डॉक्टर दिवाकर तेजस्वी ने कहा 'भारत में लगभग 5 से 7 फीसदी आबादी हेपेटाइटिस की बीमारी से ग्रसित है. हेपेटाइटिस चार प्रकार के होते हैं- हेपेटाइटिस ए (Hepatitis A), हेपेटाइटिस बी (Hepatitis B) , हेपेटाइटिस सी (Hepatitis C) और हेपेटाइटिस ई (Hepatitis E). भारत में और खासकर बिहार में सभी प्रकार के हेपेटाइटिस के मरीज मिलते हैं.'
हेपेटाइटिस कितने तरह के होते हैं- हेपेटाइटिस बी दो तरह के होते हैं एक एक्यूट और दूसरा क्रोनिक. शुरुआत के 6 महीने में हेपेटाइटिस बी इंफेक्शन को 'एक्यूट' माना जाता है. सही इलाज से ज्यादातर लोग इन छह महीनों में ठीक हो जाते हैं. अगर हेपेटाइटिस बी वायरस टेस्ट 6 महीने के बाद भी पॉजिटिव आता है तो ये क्रोनिक (लंबे समय तक रहने वाला) में बदल जाता है. इसकी वजह से लिवर सिरोसिस और लिवर कैंसर की संभावना बढ़ जाती है.
'हेपेटाइटिस ए और हेपेटाइटिस ई मुख्यता गंदे पानी और खानपान की गंदगी से होता है. वहीं हेपेटाइटिस बी असुरक्षित यौन संबंध, अनुवांशिक वजह और हेपेटाइटिस के मरीज का खून किसी मरीज में चढ़ा देने पर होता है. हेपेटाइटिस सी अधिकतर इंजेक्टबल ड्रग्स लेने वालों को होता है. एक नीडल से कई लोग ड्रग्स लेते हैं इसके अलावा अगर टैटू कोई बनाता है और वह टैटू बनाने वाला नीडल अच्छे से साफ ना हो तो भी इस बीमारी के होने का खतरा बढ़ जाता है.'- दिवाकर तेजस्वी, वरिष्ठ चिकित्सक
डॉ दिवाकर तेजस्वी ने इससे बचाव के उपाय भी बताये. उन्होंने कहा 'अगर पेयजल की स्वच्छता रहेगी तो हेपेटाइटिस ए और हेपेटाइटिस ई से बचा जा सकता है. हेपेटाइटिस ई अधिकतर गर्भवती महिलाओं में देखने को मिलता है. हेपेटाइटिस बी के लिए टीकाकरण है और इससे बचाव के लिए जरूरी है कि बच्चों को समय पर हेपेटाइटिस बी का टीका लगाया जाए. सभी लोगों को यह टीका ले लेना चाहिए.'
हेपेटाइटिस कई तरह के होते हैं और हर एक की वजह से शरीर को अलग-अलग समस्याएं होती हैं. हेपेटाइटिस की वजह से पूरी दुनिया में हर 30 सेकेंड में एक व्यक्ति की मौत होती है. इसकी गंभीरता को देखते हुए डब्ल्यूएचओ (WHO) ने इसे 2030 तक खत्म करने का लक्ष्य रखा है. ज्यादातर लोग वायरस हेपेटाइटिस से संक्रमित होते हैं लेकिन जानकारी के अभाव में इसके लक्षणों को नजरअंदाज कर देते हैं.
तेजस्वी दिवाकर ने बताया 'हेपेटाइटिस सी के लिए जरूरी है कि साफ सुथरा और अनयूज्ड इंजेक्शन यूज करें. टैटू बनवाने जाते हैं वहां यह ध्यान दें कि वहां साफ सफाई और हाइजीन की अच्छी व्यवस्था हो. हेपेटाइटिस सी में यह देखने को मिला है कि इसका पूर्ण उपचार संभव है और ओरल दवाइयों के माध्यम से 3 से 6 महीने के बीच इस बीमारी का पूर्ण उपचार संभव है.
हेपेटाइटिस मुख्य रूप से लीवर में सूजन की बीमारी है. ऐसे में इन सबके अलावा हेपेटाइटिस कुछ और प्रमुख वजह से होता है जैसे कि बिना चिकित्सीय परामर्श के अधिक पावर की दवाइयों का सेवन करना और खासकर टीबी के इलाज में जो दवाइयां उपयोग होती है उसका लीवर पर गंभीर असर पड़ता है. ऐसे में जरूरी है नियमित रुप से चिकित्सक से परामर्श लिया जाए.
अगर किसी को पेट के दाहिनी तरफ दर्द महसूस होता है, पेट तना रहता है और भूख कम लगती है, आंख पीला हो जाता है तो ऐसे में यह समझ लें कि लीवर से संबंधित कोई बीमारी है और हेपेटाइटिस होने की संभावना बढ़ जाती है. ऐसे में रहते चिकित्सक से संपर्क करें.
इन बातों का रखें खास ख्याल: अगर आप हेपेटाइटिस बी के संपर्क में आ गए हैं तो दवाओं के साथ खान-पान पर भी विशेष ध्यान दें. खूब सारे तरल पदार्थ और हेल्दी डाइट लें ताकि शरीर को अंदर से संक्रमण से लड़ने की ताकत मिल सके. लीवर को नुकसान से बचाने के लिए अल्कोहल का सेवन बिल्कुल भी ना करें. अगर आप कोई हर्बल इलाज कर रहे हैं तो इसकी जानकारी अपने डॉक्टर को जरूर दें क्योंकि कई देसी चीजें लीवर के सूजन को बढ़ाने का काम करती हैं.