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पटना नगर निगम में मजदूरों के नाम पर करोड़ों का घोटाला, आयुक्त बोले- जांच के बाद दोषियों पर होगी कार्रवाई

पटना नगर निगम में मजदूरों के नाम पर करोड़ों रुपए के घोटाले का मामला (Scam Worth Crores In Name of Laborers) सामने आया है. मामला सामने आने के बाद नगर आयुक्त ने जांच बैठा दी है. जल्द ही रिपोर्ट सौंपी जाएगी. पढ़ें पूरी खबर..

अनिमेष पाराशर, नगर आयुक्त, पटना नगर निगम
अनिमेष पाराशर, नगर आयुक्त, पटना नगर निगम

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Published : Jun 8, 2022, 6:22 PM IST

पटना:पटना नगर निगम (Patna Municipal Corporation) में सफाई एजेंसियों द्वारा मजदूरों के नाम पर बड़ा घोटाला सामने आया है. नगर आयुक्त के औचक निरीक्षण के क्रम में करीब एक हजार मजदूर ड्यूटी से गायब पाए गए हैं और इनमें से सैकड़ों ऐसे हैं, जो महीनों से ड्यूटी पर नहीं हैं. ऐसे में इस पूरे मामले पर नगर आयुक्त ने जांच बैठा दी है. इसी क्रम में मंगलवार की शाम एक बैठक बुलाई गई. इस मामले को लेकर नगर आयुक्त का कहना है कि जल्द ही इस प्रकरण का फाइनल रिजल्ट वह सार्वजनिक करेंगे. अभी जांच चल रही है.

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पटना नगर निगम में फर्जीवाड़ा: जानकारी के अनुसार पटना नगर निगम में सफाई के लिए तीन आउटसोर्सिंग एजेंसियों को रखा गया है. इनमें लगभग 3 हजार से अधिक सफाई कर्मी हैं. जो पटना के 75 वार्ड में अलग-अलग संख्या में कार्यरत हैं. विभिन्न वार्डों में मजदूर 30 से 50 की संख्या में कार्यरत हैं. मजदूरों के गायब होने का मामला तब प्रकाश में आया जब प्री मॉनसून नाला उड़ाही का कार्य दो बार निर्धारित सीमा को बढ़ाए जाने के बावजूद कंप्लीट नहीं हो पाया. वार्ड पार्षदों और सशक्त स्थाई समिति के सदस्यों ने महापौर और नगर आयुक्त को आवेदन दिया कि उनके इलाके में उतने सफाई कर्मी नजर नहीं आ रहे हैं, जितने की इलाके में तैनात किए गए हैं और नालों की साफ-सफाई इससे प्रभावित हो रही है.

900 से अधिक मजदूर ड्यूटी से गायब: वार्ड पार्षदों और सशक्त स्थाई समिति के सदस्यों द्वारा आवेदन मिलने के बाद महापौर के निर्देशानुसार नगर आयुक्त ने विभिन्न वार्डों में चल रहे सफाई और नाला उड़ाही कार्यक्रम का निरीक्षण किया. इस क्रम में पता चला कि 900 से अधिक मजदूर ऐसे हैं जो ड्यूटी पर नहीं हैं. कई मजदूर कुछ महीनों से ड्यूटी पर नहीं हैं, तो कई मजदूर घोस्ट मजदूर के तौर पर भी हैं. इसके बाद नगर आयुक्त ने पूरे प्रकरण पर जांच बैठा दी है और जांच तेज गति से चल रही है.

"मॉनसून के पूर्व चलने वाला नाला उड़ाही कार्यक्रम काफी धीमी गति से चल रहा था और डेड लाइन लगातार बढ़ाया जा रहा था. इसी बीच पार्षदों ने शिकायत किया कि उनके इलाके में सफाई कर्मियों की कमी है. जबकि, फाइलों में पर्याप्त संख्या में सफाई कर्मी मौजूद हैं. इसके बाद नगर आयुक्त ने जांच किया और पता चला कि 900 से अधिक ऐसे मजदूर हैं, जो काम पर नहीं है और कुछ ऐसे हैं जो महीनों से ड्यूटी पर नहीं है. फाइलों में 3 हजार से अधिक सफाई कर्मी हैं. लेकिन जांच क्रम में 900 से अधिक गायब पाए गए. ऐसे में घोस्ट मजदूर की भी संभावना बन रही है."-इंद्रदीप चंद्रवंशी, सदस्य, सशक्त स्थाई समिति, पटना नगर निगम

निगम पर थोपा जा रहा नियम: इंदरजीत चंद्रवंशी ने कहा कि सरकार के द्वारा नियम निगम पर थोप दिया जा रहा है कि सफाई के लिए आउटसोर्सिंग एजेंसी के माध्यम से ही सफाई कर्मी हायर करें और यह एजेंसियां न तो समय पर लेबर को पेमेंट कर पा रही है. और न ही सही तरीके से काम कर रही है. उन्होंने कहा कि लेबर चोरी से नहीं जोड़ कर देखा जा सकता, क्योंकि समय पर पेमेंट नहीं मिलेगा तो मजदूर जीवन यापन के लिए दूसरे जगह काम की तलाश में जाएंगे. सफाई कर्मियों की कमी के पीछे यह भी एक कारण हो सकता है. उन्होंने कहा कि इतनी अधिक संख्या में सफाई कर्मियों की ड्यूटी से नदारद रहने के पीछे संभव है कि नगर निगम के प्रशासनिक अधिकारियों और कर्मियों का भी हाथ हो और पूरे मामले की जांच चल रही है. जो भी दोषी होंगे कार्रवाई की जाएगी.

एजेंसी से कराई जाएगी पैसों की भरपाई: सशक्त स्थाई समिति के सदस्य इंद्रदीप चंद्रवंशी ने कहा कि यदि घोस्ट सफाई कर्मियों को दर्शा करके एजेंसियों ने पैसा लिया है, तो एजेंसी से पैसे की भरपाई कराई जाएगी. गुड-ईयर, एवरेस्ट और इंप्रेशन जैसी 3 एजेंसी आउटसोर्सिंग का सफाई में काम कर रही है. इनमें से गुड-ईयर और एवरेस्ट को निगम ने साल भर से अधिक समय से पहले ही ब्लैक लिस्टेड कर दिया है. लेकिन, दुर्भाग्य से कुछ कानूनी प्रक्रिया ऐसी होती है कि अचानक से यदि किसी कंपनी को ब्लैक लिस्टेड कर दिया जाता है तो उसका रिप्लेसमेंट नहीं है. तो वह कंपनी काम करते रहती है और दूसरे को काम नहीं दिया जा सकता है. उन्होंने कहा कि हाल ही में सशक्त स्थाई समिति के बैठक में सदस्यों ने आवाज उठाई थी कि अगर कोई एजेंसी को ब्लैक लिस्टेड किया जाता है तो उसके जगह पर अल्टरनेट सफाई एजेंसी उपलब्ध हो या फिर कोई नई एजेंसी को आने का मौका दिया जाए.

एक मजदूर पर निगम करती है 14 हजार का भुगतान:उन्होंने बताया कि नगर निगम आउटसोर्सिंग एजेंसी को प्रत्येक मजदूर के लिए 14 हजरा रुपए का भुगतान करता है. जिसमें से डेढ़ हजार रुपया कंपनी का कमीशन जाता है और बाकी पीएफ और मेडिकल बीमा काटकर के 12 हजार के करीब मजदूरों को पेमेंट जाता है. लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि काफी मजदूरों को एजेंसी के तरफ से 12,000 से भी कम का भुगतान किया जाता है. उन्होंने कहा कि आउटसोर्सिंग एजेंसी समय-समय पर जो बिल देती है. उसमें सफाई कर्मियों के नाम पर उसका निगम भुगतान करते रहा है और अब जांच चल रहा है. जांच में जो भी सामने आएगा, जो भी दोषी होगा, उस पर कार्रवाई की जाएगी. कोई एजेंसी यदि घोस्ट मजदूर के नाम पर पैसे की उगाही की है तो उससे पैसे की भरपाई कराई जाएगी.

"यह मामला जब संज्ञान में आया तो जांच बैठा दी गई है और जल्द ही इसका निष्कर्ष सार्वजनिक किया जाएगा. मजदूरों की उपस्थिति सुनिश्चित करने को लेकर के बायोमेट्रिक फिर से अनिवार्य कर दिया गया है और अंचल वाइज बायोमेट्रिक के माध्यम से सुपरवाइजर सफाई कर्मियों की उपस्थिति सुनिश्चित कर रहे हैं. सफाई कर्मियों की उपस्थिति के मॉनिटरिंग के लिए अंचल में सीसीटीवी कैमरे का भी इस्तेमाल किया जा रहा है. बायोमैट्रिक सिस्टम को फिर से मजबूत बनाया जा रहा है और इसी माध्यम से सफाई कर्मियों की उपस्थिति की सही जानकारी निगम को सुनिश्चित हो पाएगी."-अनिमेष पाराशर, नगर आयुक्त, पटना नगर निगम

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