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सावन की पहली सोमवारी आज: पटना के शिव मंदिरों में लोगों ने किया जलाभिषेक, कोरोना से मुक्ति के लिए की प्रार्थना - भोलेनाथ की विधि पूर्वक विशेष पूजा

आज सावन की पहली सोमवारी है. मंदिरों में इस मौके पर श्रद्धालुओं ने भगवान शिव का जलाभिषेक किया. श्रद्धालुओं ने महादेव से कोरोना से निजात दिलाने के लिए प्रार्थना की.

सावन की पहली सोमवारी आज
सावन की पहली सोमवारी आज

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Published : Jul 26, 2021, 9:54 AM IST

Updated : Jul 26, 2021, 10:04 AM IST

पटना: आज सावन की पहली सोमवारी है. देशभर के सभी शिवालयों में (Sawan First Monday) भक्तों की भीड़ जुट रही है. सुबह से ही लोग भगवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करने में जुटे हैं. हालांकि कोरोना महामारी (Corona Pandemic) को देखते हुए बड़े बड़े शिव मंदिर (Shiva Temple) को इस बार बंद कर दिया गया है. राजधानी पटना समेत विभिन्न ग्रामीण क्षेत्रों के बड़े-बड़े शिवालयों को प्रशासन ने कोविड गाइडलाइन के तहत बंद रखा है. इसके बावजूद कई जगहों पर कोरोना पर आस्था भारी है.

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राजधानी पटना समेत ग्रामीण इलाकों के शिव मंदिरों में सुबह से ही महिला श्रद्धालु भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए पूजा अर्चना कर रही हैं. वहीं इस बार कोरोना महामारी से निजात दिलाने के लिए महादेव से प्रार्थना भी की जा रही हैं. वैसे तो पूरा सावन माह ही बहुत पवित्र माना जाता है, लेकिन सावन माह के सोमवार का विशेष महत्व है. कहा जाता है कि सावन का सोमवार भगवान शिव को बेहद पसंद हैं. इस बार सावन में 4 सोमवार पड़ रहे हैं. 26 जुलाई यानि, आज पहला सोमवार है. इस दिन भगवान भोलेनाथ की विधि पूर्वक विशेष पूजा करने का विधान बताया गया है.

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ज्योतिष के अनुसार सावन के पहले सोमवार पर सौभाग्य योग बन रहा है. 2 अगस्त को दूसरा सोमवार है और इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है. 9 अगस्त को सावन का तीसरा सोमवार है और इस दिन वरीयान योग बन रहा है. 16 अगस्त को सावन का चौथा व अंतिम सोमवार है. इस दिन सर्वार्थ सिद्धि व ब्रह्म योग बन रहा है, जो कि शुभाशुभ फल देने वाला है.

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सावन के पहले सोमवार में फूल, फल, मेवा, दक्षिणा, कुशासन, दही, शुद्ध देशी घी, शहद, गंगा जल, पवित्र जल, पंच रस, इत्र, गंध रोली, मौली जनेऊ, पंच मिष्ठान्न, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें, तुलसी दल, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, ईख का रस, कपूर, धूप, दीप, रूई, शिव व मां पार्वती की श्रृंगार की सामग्री आदि से भगवान शिव की पूजा की जाती है. शिव भक्त इस दिन व्रत रखकर भगवान शिव की उपासना करते हैं. मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव को उनकी प्रिय चीजों का भोग लगाना चाहिए और अभिषेक करना चाहिए. ऐसा करने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.

श्रावण माह से व्रत और साधना के चार माह अर्थात चातुर्मास प्रारंभ होते हैं. पौराणिक कथा के अनुसार देवी सती ने अपने दूसरे जन्म में शिव को प्राप्त करने हेतु युवावस्था में श्रावण महीने में कठोर व्रत किया और उन्हें प्रसन्न किया. इसलिए यह माह शिव जी को साधना, व्रत करके प्रसन्न करने का माना जाता है. श्रावण शब्द श्रवण से बना है जिसका अर्थ है सुनना. अर्थात सुनकर धर्म को समझना.

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Last Updated : Jul 26, 2021, 10:04 AM IST

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