पटना:ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा की रीढ़ के रूप में सेवारत आशा कार्यकर्ताओं, फैसिलिटेटरों के बीच असंतोषव्याप्त है. अपनी नौ सूत्री मांगों को लेकर बिहार की एक लाख आशा और आशा फैसिलिटेटर लगातार 15 दिनों से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं. ऐसे में बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है. वहीं आशा संयुक्त संघर्ष मंच से जुड़े बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ (गोप गुट-ऐक्टू) के अध्यक्ष शशि यादव ने तीन दिवसीय सपरिवार सत्याग्रह का बिगुल फूंक दिया है. 28 जुलाई तक लगातार तीन दिनों तक राज्य के एक लाख हड़ताली आशाएं मांगों की पूर्ति के लिए सपरिवार सत्याग्रह करेंगी.
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पटना में आशा कार्यकर्ताओं का सत्याग्रह शुरू: आशा संयुक्त संघर्ष मंच से जुड़े बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ (गोप गुट-ऐक्टू) अध्यक्ष शशि यादव ने एक बयान जारी कर हड़ताली आशाओं के प्रति बिहार सरकार के उपेक्षापूर्ण रवैये की आलोचना की. शशि यादव ने घोषणा किया है कि आज 28 जुलाई तक लगातार तीन दिनों तक राज्य के एक लाख हड़ताली आशाएं मांगों की पूर्ति के लिए सपरिवार सत्याग्रह करेगीं. सत्याग्रह राज्य के सभी 500 से अधिक पीएचसी के समक्ष होगा. वहीं राज्य सरकार ने सपरिवार सत्याग्रह आंदोलन के दरम्यान मांगें पूरा नहीं की तो अगस्त माह के प्रथम सप्ताह में पटना में विशाल प्रदर्शन करेंगी..
पटना में विशाल प्रदर्शन की चेतावनी:रोष व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि केंद्र पोषित योजना में लगी बिहार सहित देश की तकरीबन 10 लाख से अधिक आशाकर्मी का काम का दाम वर्ष 2005 में निर्धारित किया गया था. जिसके बाद अबतक एक बार भी काम के दाम में ठोस से संसोधन केंद्र सरकार द्वारा नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि सरकार से आशओं के सभी 9 सूत्री मांगों पर सम्मानजनक वार्ता कर मांगे पूरी करने की अपील की है. उन्होंने कहा है कि बिहार की एक लाख आशाओं का संघर्ष केंद्र की मोदी सरकार के भी खिलाफ है. मोदी सरकार ने अपने 9 वर्षीय साशनकाल मे आशा के मेहनताना राशि मे एक रुपया की भी वृद्धि नहीं की है.