पटनाः बिहार के सभी जिलों में मंगलवार को धूमधाम से सरस्वती पूजा मनाई जा रही है. सभी शैक्षणिक, गैर शैक्षणिक संस्थानों और सार्वजनिक स्थलों पर मां सरस्वती की पूजा अर्चना की गई. मसौढ़ी में शैक्षणिक संस्थानों में कई तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया.
पूजा का किया गया आयोजन
कैमूर जिले के भभुआ में ज्ञान की देवी माता सरस्वती की पूजा श्रद्धा और उल्लास से की जा रही है. भभुआ शहर के कई मोहल्ले के साथ लगभग 500 से अधिक कोचिंग, कॉलेज और स्कूलों में पूजा का आयोजन किया गया. कोरोना काल में शहर की यह पहली पूजा है. प्रशासन से छूट मिलने के बाद इस बार दुर्गा पूजा की तुलना में 10 गुना अधिक जगहों पर माता सरस्वती की पूजा का आयोजन किया जा रहा है.
मां सरस्वती की उत्पत्ति की कथा
बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती है. मान्यताओं के अनुसार जब सृष्टि की रचना हुई थी तब भगवान ब्रह्मा जी पृथ्वी पर भ्रमण करने निकले. ब्रह्माजी ने पृथ्वी पर उदासी का माहौल देखकर अपने कमंडलु का जल छिड़का इससे मां सरस्वती की उत्पन्न हुई.
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कहा जाता है संगीत की देवी
कथा के अनुसार, माता सरस्वती ने अपनी वाणी से संगीत की उत्पत्ति की. इसकी वजह से उन्हें कला और संगीत की देवी कहा जाता है. मां सरस्वती की पूजा में पीले और सफेद रंग की मिठाई, फूल, केसर, चंदन, अक्षत का विशेष महत्व होता है. ब्रह्माजी ने उन्हें संसार के सभी जीवों को वाणी प्रदान करने को कहा था. इसके बाद से ही हर साल इस दिन मां शारदा की पूजा अर्चना की जाती है.