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शेल्टर होम केस: साकेत कोर्ट ने मुख्य दोषी ब्रजेश ठाकुर समेत 11 को सुनाई उम्र कैद की सजा - दिल्ली की साकेत कोर्ट

मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में दिल्ली की साकेत कोर्ट ने मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर उम्र कैद की सजा सुनाई है. साकेत कोर्ट ने चार फरवरी को सजा पर बहस पूरी कर ली थी और इसके बाद 11 फरवरी को सजा सुनाई.

ब्रजेश ठाकुर
ब्रजेश ठाकुर

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Published : Feb 11, 2020, 4:52 PM IST

Updated : Feb 11, 2020, 8:21 PM IST

पटना/मुजफ्फरपुर: मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में दिल्ली की साकेत कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है. कोर्ट ने मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर सहित 11 दोषियों को उम्र कैद की सजा सुनाई है. सभी आरोपियों पर पॉक्सो एक्ट के तहत कार्रवाई की गई है.

दिल्ली की साकेत कोर्ट ने शेल्टर होम मामले में रवि रौशन, विकास कुमार, गुड्डू पटेल, किरण कुमारी, मीनू पटेल, नेहा, रामानुज ठाकुर, विजय तिवारी और मधु किरण को ताउम्र कैद की सजा सुनाई है. वहीं, इस केस में शामिल रोजी रानी को 6 महीने, मीनू कुमारी को 3 साल की सजा मिली है. साथ ही नेहा, हेमा और अश्विनी को 10-10 साल की सजा सुनाई गई.

4 फरवरी को हुई थी बहस
मालूम हो कि साकेत कोर्ट ने 4 फरवरी को सजा की बहस पूरी कर ली थी और 11 फरवरी को सजा की तारीख मुकर्रर की थी. इस पूरे मामले में सीबीआई ने जांच की थी और कोर्ट को रिपोर्ट सैंपी थी.

क्या है मामला?
बता दें कि ये पूरा मामला साल 2018 का है. जहां मुजफ्फरपुर शेल्टर होम में लगभग 40 नाबालिग लड़कियों के साथ सामूहिक दुष्कर्म का मामले सामने आया था. इस शेल्टर होम का संचालक ब्रजेश ठाकुर सहित 19 लोगों पर केस दर्ज किया गया था. मामला तूल पकड़ता देख सुप्रीम कोर्ट ने इस केस को बिहार से दिल्ली ट्रांसफर कर दिया था.

  • अप्रैल 2018 में मुंबई के टाटा इंस्टीटयूट ऑफ सोशल साइंस ने निरीक्षण के बाद अपनी रिपोर्ट में मुजफ्फरपुर बालिका गृह में लड़कियों के यौन उत्पीड़न की बात कही थी.
  • 31 मई 2018 को सरकार ने प्राथमिकी दर्ज कराई.
  • पीएमसीएच की रिपोर्ट में लड़कियों के साथ दुष्कर्म की पुष्टि हुई.
  • सीबीआई कर रही थी मामले की जांच.
  • लड़कियों ने कोर्ट में बयान दिया.
  • सुप्रीम कोर्ट ने पिछले 7 फरवरी को केस की सुनवाई बिहार से दिल्ली की साकेत कोर्ट में ट्रांसफर की.
  • 25 फरवरी 2019 से साकेत कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई.
  • 30 मार्च को कोर्ट ने सभी आरोपियों के खिलाफ दुष्कर्म और पॉक्सो एक्ट के तहत आरोप तय किया.
  • 30 सितंबर को एडिशनल सेशंस जज सौरभ कुलश्रेष्ठ ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा.
  • 14 नवंबर को भी वकीलों की हड़ताल की वजह से फैसला टल गया.
  • 12 दिसंबर 2019 को भी एडिशनल सेशंस जज सौरभ कुलश्रेष्ठ के छुट्टी पर होने फैसला नहीं सुनाया जा सका.
Last Updated : Feb 11, 2020, 8:21 PM IST

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