पटना:सूचना का अधिकार प्रशासन में पारदर्शिता लाने के लिए एक क्रांतिकारी कदम है. आरटीआई के जरिए बिहार में कई भ्रष्टाचार के मामले उजागर हुए हैं. वहीं, आरटीआई एक्टिविस्ट शिव प्रकाश राय बिहार में आरटीआई कार्यकर्ताओं पर बढ़ रहे जानलेवा हमलों को लेकर चिंता जाहिर की. वहीं, उन्होंने कहा कि जानकारी मांगने पर प्रताड़ित किया जाता है.
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17 आरटीआई एक्टिविस्ट की हत्या हुई
श्री प्रकाश राय ने आरटीआई एक्टिविस्ट पर हमले को लेकर चिंता जताई. राय ने कहा कि अब तक 600 से ज्यादा आरटीआई एक्टिविस्ट के खिलाफ फर्जी मुकदमे दर्ज किए गए हैं. 300 एक्टिविस्टों को गलत तरीके से जेल भेजा गया और 17 की हत्या हो चुकी है. सूचना का अधिकार के तहत जानकारी मांगने पर संस्था में ही हम लोगों को परेशान और प्रताड़ित किया जाता है.
'मैं पिछले 14 साल से बतौर आरटीआई एक्टिविस्ट काम कर रहा हूं. इस दौरान मैंने एक हजार से ज्यादा आरटीआई डाली. सूचना का अधिकार का उपयोग कर मैंने दर्जनों घोटालों का पर्दाफाश किया. स्वास्थ्य विभाग में घोटाले को लेकर मैंने जो आवाज उठाई उसके बाद बिहार के सभी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में सीटी स्कैन मशीन लगी'.- शिव प्रकाश राय, आरटीआई एक्टिविस्ट
दर्जनभर घोटालों का किया पर्दाफाश
बिहार में सूचना का अधिकार का इस्तेमाल कुछ लोगों ने बखूबी किया है. इसके जरिएसरकारको भी मशक्कत भी करनी पड़ी. शिव प्रकाश राय बिहार के चर्चित व्हिसब्लोअर हैं. इनके प्रयास से कई भ्रष्टाचार के बड़े मामले उजागर हुए हैं. 5000 करोड़ के घोटाले का उजागर शिव प्रकाश राय ने आरटीआई के जरिए किया था. और मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था. इसके अलावे नियोजितशिक्षक भर्ती घोटालेका पर्दाफाश भी उन्होंने आरटीआई के जरिए की थी. रिट याचिका द्वारा श्री प्रकाश राय ने सरकार पर जांच के लिए दबाव बनाया था. जिस कारण आज भी भर्ती घोटाले को लेकर जांच जारी है. उनके द्वारा आरटीआई के जरिए किए गए खुलासे के बाद सड़क से लेकर संसद तक घोटालों पर बवाल मचा था. और सरकार को जांच बैठाना पड़ा था.
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