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सरकार इस ताक में रहती है कि कब बाढ़ आए, तटबंध टूटे और लूट खसोट की जाए- RLSP

रालोसपा नेता ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लगातार बाढ़ से पूर्व तैयारियों का जायजा लिया. उनके मंत्री खुद यह कहते नजर आए कि बिहार में जितने भी नदी के तटबंध हैं, सब सुरक्षित हैं. जबकि उनके गृह जिला में ही कमला बलान नदी के तटबंध टूट गए हैं.

रालोसपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता फजल इमाम मलिक

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Published : Jul 14, 2019, 9:47 PM IST

पटना:राज्य के कई जिले बाढ़ से प्रभावित हैं. इसको लेकर विपक्ष लगातार सरकार पर हमला कर रहा है. राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता फजल इमाम मलिक ने कहा कि वर्तमान सरकार 14 साल से राज्य में शासन कर रही है. हर साल बाढ़ आती है, लेकिन अभी तक इसका कोई स्थाई समाधान सरकार ने नहीं खोजा है. उन्होंने कहा कि सरकार इस आस में बैठी रहती है कि कब बाढ़ आये, तटबंध टूटे और राहत के नाम पर भारी लूट खसोट किया जाए.

सरकार पर लगाए कई आरोप
फजल इमाम मलिक ने कहा कि राहत के नाम पर लूट खसोट ही एक प्रमुख कारण है कि बाढ़ से पूर्व सरकार तैयारियां नहीं करती है. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार दावे तो बहुत करती है, लेकिन बाढ़ आने के बाद जब तटबंध टूटता है तो हाथ खड़े कर लेती है. उन्होंने साफ-साफ कहा कि राहत के नाम पर सत्ता पक्ष के लोग लूटखसोट में लग जाते हैं. अगर बाढ़ का स्थाई समाधान हो जाएगा तो फिर सत्ता पक्ष के लोगों को यह मौका नहीं मिलेगा.

रालोसपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता फजल इमाम मलिक का बयान

मुख्यमंत्री और जल संसाधन मंत्री पर बोला हमला
रालोसपा नेता ने कहा कि सरकार लाख दावे कर ले, लेकिन बाढ़ का स्थाई निदान नहीं कर सकती है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लगातार बाढ़ से पूर्व तैयारियों का जायजा लिया. उनके मंत्री खुद यह कहते नजर आए कि बिहार में जितने भी नदी के तटबंध हैं, सब सुरक्षित हैं. जबकि उनके गृह जिला में ही कमला बलान नदी के तटबंध टूट गए हैं. आप इससे ही समझ लीजिए कि बाढ़ को लेकर सरकार पहले से कितनी तैयारियां कर रखी थी.

ललन सिंह के बयान का दिया हवाला
फजल इमाम मलिक ने कहा कि इससे पहले जो सरकार में जल संसाधन मंत्री थे ललन सिंह, उन्होंने एक बयान दिया था कि चूहे के कारण मिट्टी से बने तटबंध टूटते हैं. उन बयानों को याद कीजिए उसी से पता चल जाएगा कि सरकार बाढ़ को लेकर क्या तैयारियां करती है. इस बार भी कहीं ना कहीं सरकारी तैयारियां क्या थी इसकी कलई खुलती नजर आ रही है. कुल मिलाकर सरकार इन सब मुद्दों पर कभी भी गंभीर नहीं रही है और यही कारण है कि उत्तर बिहार के लोग बाढ़ की विभीषिका झेलते रहते हैं और सरकार मूकदर्शक बनी रहती है. अब आने वाले दिनों में राहत सामग्री और बाढ़ राहत के नाम पर फिर से एक बार लूटखसोट शुरु होगी.

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