पटना :बिहार में विपक्षी एकता बैठककी उल्टी गिनती शुरू हो गई है. महागठबंधन इसे लेकर काफी उत्साहित है तो वहीं विरोधी इसपर निशाना साधने से नहीं चूक रहे. इसी कड़ी में राष्ट्रीय लोक जलना दल के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा ने विपक्षी एकता वैठक को आड़े हाथों लिया. उन्होंने इस बैठक से निकलने वाले 'परिणाम' से जनता को आगाह किया. उपेन्द्र कुशवाहा ने इसे जनता पर घिसा-पिटा प्रयोग करार दिया.
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''सत्ताधारी दल से इतर देश के समक्ष कोई नया वैकल्पिक मॉडल प्रस्तुत किए बिना, सिर्फ नकारात्मकता को आधार बनाकर बनाई गई विपक्षी एकता का हश्र मध्यावधि चुनाव के रूप में 1977 और 1989 में देश देख /भुगत चुका है, एकबार फिर उसी तरह के घिसे-पिटे प्रयोग के परिणाम से जनता वाक़िफ है.''- उपेन्द्र कुशवाहा, अध्यक्ष, राष्ट्रीय लोक जनता दल
'जनता जानती है ऐसे बैठकों का नतीजा' : उन्होंने अपना बयान जारी कर कहा है कि देश में सिर्फ नकारात्मकता के आधार पर बिना कोई नये वैकल्पिक मॉडल के विपक्षी एकता का नतीजा मध्यावधी चुनावों के रूप में जनता देख चुकी है. 1977 और 1989 में देश उसको भुगत चुका है. एक बार फिर उसी तरह के बेतुके प्रयोग को महागठबंधन अपना रहा है.
'नरेंद्र मोदी के सामने चुनौती नहीं' : उपेन्द्र कुशवाहा ने कहा कि लोकसभा चुनाव 2024 में नरेंद्र मोदी के सामने दूसरी कोई नई चुनौती नहीं है. जनता तब तक ऐसे वैकल्पिक मॉडल के साथ नहीं जाएगी जब तक सकारात्मक मॉडल के साथ किसी भरोसे मंद नेता के नेतृत्व को स्वीकार कर छोटे और क्षेत्रीय दल उनके साथ खड़े हों. हो सकता है कि कांग्रेस अपने को इस रूप में खड़ा कर पाए. लेकिन कांग्रेस को अभी और तपना होगा. इसलिए नरेंद्र मोदी के सामने देश कोई दूसरा विकल्प नहीं है.
''मेरी समझ से ऐसे किसी प्रयोग पर जनता तभी भरोसा कर सकेगी, जब नये और सकारात्मक वैकल्पिक मॉडल के साथ किसी बड़े दल के भरोसेमंद नेता के नेतृत्व को स्वीकार कर, छोटे व क्षेत्रीय दल उनके साथ खड़े हों. शायद भविष्य में कांग्रेस इस रूप में अपने को खड़ा कर पाए. कांग्रेस के नेता को अभी और तपना होगा. फिलहाल 2024 में नरेंद्र मोदी के सामने कोई चुनौती नहीं है.''- उपेन्द्र कुशवाहा, अध्यक्ष, राष्ट्रीय लोक जनता दल
23 जून को आयोजित है बैठक: बता दें कि डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने कहा है कि जब मुद्दे एक हो तो वोटों का बिखराव क्यों होने दें? इसी उद्देश्य से विपक्षी दलों की बैठक पटना में बुलाई गई है. इसपर मंथन के बाद जो निर्णय होगा उसे नीतीश कुमार जी बिहार और देश की जनता को बताएंगे. 23 जून को होने वाली ये बैठक कोई पहली और अंतिम बैठक भी नहीं है. इस बैठक में भाग लेने के लिए देश के विभिन्न राज्यों के प्रमुख नेता गुरुवार से पटना आने शुरू हो गए हैं. महबूबा मुफ्ती सईद पटना पहुंच चुकी हैं.