पटना:बिहार में 2020 विधानसभा चुनाव में आरजेडी 75 सीट लेकर सबसे बड़ी पार्टी (RJD biggest party) बनी थी. बीजेपी 74 सीट लाकर दूसरे स्थान पर थी और जदयू 43 सीट लाकर तीसरे स्थान पर. 2020 में एनडीए में शामिल अन्य दल जीतन राम मांझी की पार्टी हम को 4 सीट और मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी को भी 4 सीट मिला था और एनडीए ने सरकार बना ली. बाद में जदयू ने बसपा और लोजपा के एक एक विधायक को अपनी पार्टी में मिला लिया सदस्यों की संख्या 45 पहुंच गई. इस बीच दो विधायकों के निधन के कारण सीट भी खाली हुआ और दोनों पर जदयू को जीत भी मिली.
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आरजेडी सबसे बड़ी पार्टीः इधर मुकेश साहनी की पार्टी के एक विधायक के निधन के कारण बोचहा सीट पर उपचुनाव हुआ. आरजेडी को उस सीट पर जीत मिली और सदस्यों की संख्या 76 पहुंच गई. उधर मुकेश सहनी की पार्टी के तीन विधायक बीजेपी में शामिल हो गये और बीजेपी के सदस्यों की संख्या 77 पर पहुंच गई. विधानसभा में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बन गई. लेकिन, नीतीश कुमार बीजेपी से नाता तोड़ महागठबंधन में शामिल हो गए और 7 दलों की सरकार बना ली. सरकार बनाने से ठीक पहले आरजेडी ने एआईएमआईएम के 4 विधायकों को अपनी पार्टी में शामिल कर लिया. राजद विधानसभा में 80 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बन गयी.
रिजल्ट पर सबकी नजरः सरकार बनने के बाद विधानसभा की 3 सीटें खाली हो गई है, जिसमें आरजेडी के 2 विधायकों मोकामा से अनंत सिंह और कुढ़नी से अनिल सहनी की सदस्यता समाप्त हुई है. वहीं बीजेपी के एक विधायक सुभाष सिंह के निधन के कारण सीट खाली हुआ है. 3 नवंबर को मोकामा और गोपालगंज विधानसभा में उपचुनाव (Bihar assembly by election 2022) होना है. मोकामा सीट आरजेडी का सीटिंग सीट है तो गोपालगंज बीजेपी की सीटिंग सीट. ऐसे तो महागठबंधन और बीजेपी दोनों तरफ से जीत के दावे हो रहे हैं. बीजेपी दोनों सीट जीत भी जाती है तब भी विधानसभा में बड़ी पार्टी नहीं होगी. लेकिन आरजेडी को दोनों सीट पर जीत मिलती है तो आरजेडी बिना जदयू के सरकार बनाने के आंकड़े के करीब पहुंच सकता है. इसलिए बीजेपी लगातार यह कह रही है कि नीतीश कुमार उपचुनाव में आरजेडी को हराने में लगे हैं. चुनाव प्रचार में भी नहीं गए.