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Gautam Adani Row: सांसद मनोज झा ने कहा- 'संसद, साहब के आर्केस्ट्रा टीम में शामिल के लिए नहीं'

विपक्ष के निशाने पर उद्योगपति गौतम अडाणी पर आ गए हैं. अडाणी सूमह को लेकर अमेरिकी रिसर्च कंपनी हिडनबर्ग ने जो रिपोर्ट जारी किया है, उसके बाद से शेयर बाजार में खलबली मची है. इस मुद्दे पर विपक्ष संसद में चर्चा कराने की मांग कर रहा है. राजद सांसद मनोज झा ने तो यहां तक कह दिया कि केंद्र सरकार ने LIC को अडाणी के चरणों में समर्पित कर दिया है.

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Published : Feb 5, 2023, 6:44 PM IST

आरजेडी सांसद मनोज झा
आरजेडी सांसद मनोज झा

RJD सांसद मनोज झा

पटना:राजद के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने अडानी मुद्दे को उठाते हुए कहा कि लोगों की चिंता, उनके सरोकार संसद के पटल पर ना बोले जाए, इसका मतलब है कि आप (केंद्र सरकार) संसद को बेजान भारत में तब्दील में तब्दील करना चाहते हैं. उन्होंने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए आगे कहा कि LIC को आप अडाणी के चरणों में गिराकर करके लोगों के सपनों को धवस्त करना चाहते हैं. इस पर आप चाहते हैं कि सवाल ना पूछा जाएं तो संसद किस चीज के लिए हैं.

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"संसद आर्केस्ट्रा टीम में शामिल के लिए नहीं":सांसद मनोज झा ने कहा कि "संसद साहब के आर्केस्ट्रा टीम में शामिल होने के लिए नहीं है. जो साहब कहे सुबह की जय और साबह कहे शाम की जय". मैं इन लोगों में शुमार नहीं हूं. सांसद मनोज झा ने एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि अडाणी मामले की जांच के लिए सरकार ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (JPC) क्यों नहीं गठित करती है, यदि वो कहते है कि मामले को बेवजह हाइप दिया जा रहा है. दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा.

"सिर्फ दो उद्योगपति को आगे बढ़ाना चाहती":इससे पहले सांसद मनोज झा ने कहा कि देश में 90% लोग के पास LIC बीमा है. मध्यमवर्ग से लेकर गरीब वर्ग के लोग भी आज-कल बीमा करा रहे हैं. जिस तरह से केंद्र सरकार एलआईसी को अडानी के चरणों में डालना चाहती है, वह उचित नहीं है. यह सब सिर्फ दो व्यापारियों के कारण ही हो रहा है. सरकार 2 उद्योगपतियों को ही आगे बढ़ाना चाहती है. जनता कहां जाए, देश कहां जाए इसका सरकार को कोई परवाह नहीं है.

अगर सत्ता में बैठे हुए लोग विपक्ष की बातों को नहीं सुनेगी तो आखिर संसद किस काम के लिए है. विपक्ष को सदन में इन सब मामलों पर नहीं बोलने देना कहीं से भी उचित नहीं है. इसका क्या मतलब निकाला जाए, आप ही समझिए देश का संसद किस लिए होता है. ऐसे मामले पर विपक्ष के सवाल का जवाब सदन के अंदर सत्ता पक्ष को देना चाहिए था.

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