पटना:बिहार में महागठबंधन की नई सरकार के गठन होने के बाद आज आरजेडी विधानमंडल दल की बैठक (RJD Legislature Party Meeting) होगी. जानकारी के अनुसार यह बैठक पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के सरकारी आवास 10 सर्कुलर रोड पर होगी. बैठक में पार्टी कोटे से तमाम मंत्री और विधायक हिस्सा लेंगे. आरजेडी चीफ लालू प्रसाद यादव भी इस दौरान मौजूद रह सकते हैं.
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बिहार विधानसभा के नए अध्यक्ष के नाम पर सहमित: पार्टी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस बैठक में विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए आरजेडी की तरफ से तय किए गए नाम पर मुहर लग सकती है. इस पद के लिए आरजेडी विधायक अवध बिहारी चौधरी (RJD MLA Awadh Bihari Chaudhary) का नाम तय किया गया है. पिछड़ी जाति से आने वाले अवध बिहारी चौधरी की गिनती कद्दावर नेताओं में होती है. इस बार वह छठी बार सिवान सदर सीट से विधायक चुने गए हैं. अवध बिहारी चौधरी इससे पहले 1985, 1990, 1995, 2000 और फरवरी 2005 के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल कर चुके हैं. वह पूर्व की राबड़ी देवी सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं. आपको बता दें कि अवध बिहारी चौधरी इस पद के लिए 2020 में पहले भी चुनाव लड़ चुके हैं. हालांकि तब बीजेपी के विजय कुमार सिन्हा की जीत हुई थी.
पार्टी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार विधानमंडल दल की बैठक में अविश्वास प्रस्ताव पर भी चर्चा की जा सकती है. साथ ही इस बात की भी रणनीति बनाई जा सकती है कि अगर बीजेपी कोटे के विधानसभा अध्यक्ष अपना इस्तीफा नहीं देते हैं तो उनको अविश्वास प्रस्ताव कैसे पेश किया जा सकता है.
वहीं, बिहार विधान परिषद के सभापति के नाम के लिए जेडीयू के देवेश चंद्र ठाकुर का नाम पहले से ही तय माना जा रहा है. विधान परिषद में अभी बीजेपी कोटे से कार्यकारी सभापति अवधेश नारायण सिंह है. अवधेश नारायण नीतीश कुमार के नजदीकियों में गिने जाते हैं लेकिन फिलहाल देवेश चंद्र ठाकुर का नाम सबसे अधिक चर्चा में है. देवेश चंद्र ठाकुर की हिंदी और अंग्रेजी पर एक समान पकड़ है.
राजनीतिक गलियारों में इस बात की भी चर्चा है कि देवेश चंद्र ठाकुर का नाम तय करके महागठबंधन की सरकार सवर्ण और विशेष कर भूमिहारों में एक मैसेज देना चाहती है. देवेश भूमिहार समाज से ही ताल्लुक रखते है. इस बारे में आरजेडी प्रवक्ता एजाज अहमद का कहना है कि महागठबंधन की सरकार ए टू जेड को साथ लेकर चलने में यकीन रखती है. इसीलिए विधान परिषद के कार्यकारी सभापति के नाम पर स्वर्ण समाज को महागठबंधन की सरकार देखना चाहती है.
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